SUFI- CHALKAYENGE BALKHAYENGE-छलकायेंगे बलखायेंगे - * हज़रत मंज़ूर आलम शाह 'कलंदर मौजशाही'
छलकायेंगे बलखायेंगे
छलकायेंगे बलखायेंगे लहरा के पियेंगे !
जीना है तो जीने कि क़सम खा के जीयेंगे !!
हम पीने
से तौबा करें ऐसा न करेंगे !
तौबा अरे तौबा कभी तौबा न करेंगे !!
दुनिया में कहीं और तो अब दिल नहीं लगता !
सोचा है कि मैखाने के साए में जियेंगे !!
काबा हो या बुतखाना कहीं जाके करें क्या !
अब इनके सिवा हम कहीं सजदा न करेंगे !!
इस दिल को यही टेक लगी रहती है हरदम !
पूजेंगे सनम अपने कन्हैया से मिलेंगे !!
* हज़रत मंज़ूर आलम शाह 'कलंदर मौजशाही'
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