SUFI - CHAMKI CHANDA MUKH SURATIYA ~ हज़रत मंज़ूर आलम शाह 'कलंदर मौजशाही'

 

CHAMKI CHANDA MUKH SURATIYA

चमकी चंदा मुख सुरतिया भये उजियार भवनवा ना !

सबके भाग विधाता आये, जगमग करै जहनवां ना !!

निर्मल छबि और तन नूरानी, नूर पे नूर सवार !

आदम जेहिकी महिमा गावैं, कहै कि अपरम्पार !!

उ भगवान ठेकनवा ना, जगमग करै  जहनवा ना

चमकी चंदा मुख सुरतिया भये उजियार भवनवा ना !

सबके भाग विधाता आये, जगमग करै जहनवां ना !!

 

नबी मलायक पीछे पीछे, वो सबके सरदार !

जो भी उनका दरशन पाये, कहै कि  है करतार !!

झुक झुक करै सलमवा ना, जगमग करै  जहनवा ना

चमकी चंदा मुख सुरतिया भये उजियार भवनवा ना !

सबके भाग विधाता आये, जगमग करै जहनवां ना !!

 

दरिया में एक नाव पड़ी है, आन फंसी मझधार !

देखो डूब ना जाए सरवर , तुम्हरै एक सहार !!

विनती करै गुलमवा न, जगमग करै  जहनवा ना

चमकी चंदा मुख सुरतिया भये उजियार भवनवा ना !

सबके भाग विधाता आये, जगमग करै जहनवां ना !!

 

~ हज़रत मंज़ूर आलम शाह 'कलंदर मौजशाही'

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