SUFI - ALLAH MURSHDE MURSHID ALLAH-HAZRAT MANZOOR ALAM SHAH 'KALANDAR MAUJSHAHI'



ALLAH MURSHDE MURSHID ALLAH

 

अल्लाह मुर्शिद मुरशिद अल्ला, हुस्ने मुनव्वर माहे तमाम |

मेरे सूरज मेरे चंदा, मेरे साक़ी तुम्हे सलाम ||

 

मैख़ाने में जीना सीखा, रिंद बने और पीना सीखा |

इस दुनिया में मेरी दुनिया, बादा सुराही शीशा ओ जाम ||

 

पाकर खोना खो कर पाना, जैसे रक्खे वैसे रहना |

मेरी सारी दुनिया उसकी, जो कुछ है सब उसके नाम || 

 

मन मंदिर में एक मुरत है, अर्श से उतरी एक सूरत है |

सूरत उसकी ऐसी जिसको, देख के दुनिया हुई गुलाम ||

 

जलवए यार जो फुर्सत दे तो, दुनिया तेरी जानिब देखूं |

मैं देखूं क्यों तेरी जानिब, मुझको अपने काम से काम ||

 

~ हजरत शाह मंज़ूर आलम “कलंदर मौजशाही”


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