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Showing posts from April, 2020

ROOH-E-SHAYARI

राज़ी रहा करो हमेशा खुदा की रज़ा में , आप से भी ज़्यादा लोग , परेशान है इस जहाँ में । - - - - चलो माना के सड़कों पर निकलने की है पाबन्दी मगर इस दिल में आने से बताओ किसने रोका है - असद अजमेरी - - - - न जाने क्या मासूमियत है तेरे चेहरे पर , तेरे सामने आने से ज्यादा तुझे छुपकर देखना अच्छा लगता है - - - - मुकम्मल कहाँ हुई है जिंदगी कभी  किसी की। आदमी कुछ खोता ही रहा कुछ पाने के लिए ।। - - - - किसी के दिल को जोड़ने में इतना मगन थे हम , होश तब आया जब दिल के टुकड़े हो गए - - - - मुझे मालूम है कि मैं उसके बिना जी सकता बस यही हाल उसका भी है , लेकिन किसी गैर के लिए - - - - दिल पर जख्म ऐसे मिले , फूलों पर भी सोया न गया  दिल तो जलकर राख हो गया और आंखों से रोया भी न गया - - -  नसीहत अच्छी देती है दुनिया  अगर दर्द किसी गैर का हो - - - - सारे ईमान बिक जाते हैं शोहरत की होड़ में  जो कल तक मेरे थे वो आज किसी और के हो जाते हैं - - - - तुम क्या सिखाओगे मुझे प्यार करने का सलीका , मैंने माँ के एक हाथ से थ

Mushaira - Ghazal - Naam Ujale ka Kabhi PRADEEP SRIVASTAVA NAAM UJA...

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नाम उजाले का अँधेरे को बताया ही नहीं ! था दिया घर में मगर मैंने जलाया ही नहीं   !! किस तरह होती उन्हे , मेरी मोहब्बत की ख़बर ! मैंने अफ़साना कभी उनको सुनाया ही नहीं !! - प्रदीप श्रीवास्तव ' रौनक़ कानपुरी ' https://youtu.be/61hlWUitmcA

Mushaira - Geet - चाहत है मेरे मन की, आँखों मे तुम सदा रहो,Chahat Hai Me...

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चाहत है मेरे मन की , आँखों मे तुम सदा रहो , कभी घटा बन कर छाओ तो , पुरवाई सा कभी बहो , नहीं जलेंगे पाँव रेत मे ,   धूप तराने गाएगी गर तुम सांस सांस मे महको , कस्तुरी की व्यथा कहो | - लोकेश शुक्ल  

ROOH-E-SHAYARI

काम के खाने में लिख दो शायर ! नाम के खाने में पागल लिख दो ! - इदरीस बाबर - - - - एहसान किसी का वो रखते नहीं मेरा भी लौटा दिया जितना खाया था नमक मेरा , मेरे ही जख्मों पर लगा दिया #shayari - - - - तुम मेरी ज़िद्द नहीं जो पूरी हो , तुम मेरी ख्वाईश हो जो ज़रूरी हो #Shayari - - - - क्या खूब कहा है कि हवा भी बेकसूर और दिया भी बेकसूर ! एक को चलना है जरूर और दुसरे को जलना है जरूर  !! #Shayari - - - -  वो दुश्मन बनकर , मुझे जीतने निकले थे । दोस्ती कर लेतेतो मैं खुद ही हार जाता । - - - - दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे ,   जब कभी हम दोस्त हो जाएँ तो शर्मिंदा न हों । - बशीर बद्र - - - - जब तक शरीफ रहे तो इलजाम मिलते रहे अब शराफत छोड दी तो सलाम मिलते है । - - -   100 तरह से याद आते हो तुम , और मुझे करवट ही आती है । - - - -  उम्र भर याद करोगे के मिला था कोई , एरे ग़ैरों से मिले वक़्त तो हमसे मिलना - असद अजमेरी - - - - एक मदारी के जाने का गम किसको है , गम तो ये है कि म

Ghazal - Ankhon Mein Laga Lene Ke Qabil Na Samjhna - Renu Choudhary

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ग़ज़ल आँखों मे लगा लेने के क़ाबिल न समझना ! मैं काँच का टुकड़ा हूँ मुझे दिल न समझना !! फनकार - रेनू चौधरी https://youtu.be/z5SXipZS6A4

ROOH-E-SHAYARI

तुम्हारी याद की हम नौकरी बरसों से करते हैं ! कभी तो दीद की तनख्वाह हमको दीजिये साहब - असद अजमेरी - - - - अपने अन्दर के बच्चे को हमेशा जिन्दा रखिए साहब हद से ज़्यादा समझदारी , जिन्दगी को बेरंग कर देती है - - - - खता उनकी भी नहीं थी , वो भी क्या करते , हजारों चाहने वाले थे , किस किस से वफा करते - - - - तुम्हें अपना कहने की तमन्ना थी दिल में  लबों तक आते-आते तुम गैर हो गए !! - - - - रोज-रोज जलते हो , फिर भी खाक न हुए  अजीब है कुछ ख्वाब भी , बुझ कर भी राख ना हुए - - - - कतरा कतरा मेरे हलक को तर करती है , मेरी रग रग में तेरी चाहत सफर करती है - - - - कपड़ों से तो पर्दा होता है  हिफाजत तो नजरों से होती है - - - - लफ़्जों को बरतने का , सलीका ज़रूरी है गुफ़्तगू में , गुलाब अगर कायदे से ना पेश हों , तो काँटे चुभ जाते हैं. - - - - रोज़ मुहब्बत करना मेरा पेशा है ! दोस्त यही मजबूरी है इक शाइर की !! - क़ासिद देहलवी - - - -

Mushaira - Ghazal - Noor-O-Nikhhat Se Sajaya नूर-ओ-निख़हत से सजाया आपने ...

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नूर-ओ-निख़हत से सजाया आपने शाहे मुबीं | मेरे दिल को दिल बनाया आपने शाहे मुबीं || आपने सैराब कर दी   तशनगीय ए दिल मेरी जब भी प्यासा मुझको पाया आपने शाहे मुबीं || - नूरैन फैज़ाबादी https://youtu.be/FieBMcQzEoY

ROOH-E-SHAYARI

पहाड़ियों की तरह खामोश है आज के संबंध और रिश्ते ! जब तक खुद   न पुकारो , उधर से आवाज ही नहीं आती !! - - - - जिसे न आने की कसमें में दे के आया हूं , उसी के क़दमों की आहट का है , इंतजार मुझे। - - - - कतरा-कतरा वस्ल निचोड़ा आँखों से ! तब जाकर ये हिज़्र मेरा लबरेज़ हुआ !! ~ सुमित सिंह 'क़ासिद' देहलवी - - - -  इक एक करके , छोड़ दिया सबने मेरा साथ ! तूने दिया है साथ , तुझे मुफ़लिसी सलाम !! - असद अजमेरी - - - - आता है कौन कौन तेरे गम को बांटने तू अपनी मौत की अफ़वाह उड़ा के देख - - - - तारीखों में बंध गया है अब इजहार ए मोहब्बत भी रोज प्यार जताने की अब किसी को फुर्सत कहां - - - - इलाज अपना कराते फिर रहे हो जाने किस किस से , मोहब्बत कर के देखो ना मोहब्बत क्यूँ नहीं करते ~ फ़रहत एहसास - - - - कौन सी जा है जहाँ जल्वा-ए-माशूक़ नहीं शौक़-ए-दीदार अगर है तो नज़र पैदा कर ~ अमीर मीनाई - - - - दिल पे हरगिज़ ना लीजिए अगर , कोई आपको बुरा कहे ,     कायनात में ऐसा कोई है ही नहीं , जिसे हर शख्स अच्