ROOH-E-SHAYARI
उछल कर वो नही चलते जो
माहिर फन में होते हैं
छलक जाते हैं पैंमाने जो औछे
बर्तन में होते हैं
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ज़माना हुस्न नज़ाकत बला जफ़ा शोख़ी
सिमट के आ गए सब आप की अदाओं में
- कालीदास
गुप्ता रज़ा
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तेरी मुस्कान तेरा लहज़ा और तेरे मासूम से अल्फाज़,
और क्या कहूँ बस बहुत याद आती हो तुम !!
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ज़ख़्मों को सहता रहा, और मुस्कुराता रहा,
ज़िन्दगी, मैं तुझे हर हाल में निभाता रहा !!
- फिरोज़
खान अल्फ़ाज़
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तमाशा इश्क़ का हो तो सारी दुनिया देखे,
मेरी तसव्वुर-ए-ग़ज़ल सर-ए-आम तो आये !
- फिरोज़ खान अल्फ़ाज़
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चाहे जिधर से गुजरिये मीठी सी हलचल मचा दीजिये !
उम्र का हरेक दौर मजेदार है अपनी उम्र का मजा लीजिये !!
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हर वक़्त नया चेहरा हर वक़्त नया वजूद,
आदमी ने आईने को, हैरत में डाल दिया है।
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आज रिश्ते है सब बीड़ी की तरह !
कश ना मारो तो बुझने लगते हैँ !!
- असद अजमेरी
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आज रिश्ते है सब बीड़ी की तरह !
कश ना मारो तो बुझने लगते हैँ !!
- असद अजमेरी
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लफ्ज़ों के दाँत नहीं होते पर ये काट लेते हैं,
दीवारें खड़ी किये बगैर हमको बाँट देते हैं
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जो भी आता है एक नयी चोट देकर चला जाता है
माना मजबूत हूँ मैं लेकिन पत्थर तो नहीं
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आंसमा छूने की चाहत नहीं है हमें
बस अपनो के दिल मे रहें यही काफी है
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अपनी ही तेग़-ए-अदा से आप घायल हो गया !
चाँद ने पानी में देखा और पागल हो गया !!
- मुनीर
नियाज़ी
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जख्म ही देना था तो पूरा जिस्म तेरे हवाले था,
लेकिन आप ने जब भी
वार किया, दिल पर ही किया
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जब तुमसे मुहब्ब्त की हमने, तब
जाके कहीं ये राज़ खुला
मरने का सलीका आते ही, जीने का शऊर आ जाता है
- साहिर लुधियानवी
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