ROOH-E-SHAYARI

नाम ने काम कर दिखाया है,
सब ने देखा है तैरता पत्थर
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तोहफे में मत गुलाब लेकर आना,
मेरी क़ब्र पर मत चिराग लेकर आना,
बहुत प्यासा हूँ अरसों से मैं,
जब भी आना शराब लेकर आना ।
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हम-सफ़र हो तो कोई अपना-सा,
चाँद के साथ चलोगे कब तक
- शोहरत बुख़ारी
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बादलों का गुनाह नहीं की वो बरस गए,
दिल को हल्का करने का हक तो सबको है
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बरसों के बाद में वो दिखा साथ ग़ैर के !
लेकिन ख़ुदा का शुक्र है दीदार तो हुआ !!
- असद अजमेरी
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