ROOH-E-SHAYARI
काम के खाने में लिख दो शायर !
नाम के खाने में पागल लिख दो !
- इदरीस
बाबर
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एहसान किसी का वो रखते नहीं मेरा भी लौटा दिया
जितना खाया था नमक मेरा,मेरे ही जख्मों पर लगा दिया
#shayari
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तुम मेरी ज़िद्द नहीं जो पूरी हो,
तुम मेरी ख्वाईश हो जो ज़रूरी हो
#Shayari
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क्या खूब कहा है कि हवा भी बेकसूर और दिया भी बेकसूर !
एक को चलना है जरूर और दुसरे को जलना है जरूर !!
#Shayari
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वो दुश्मन बनकर, मुझे जीतने निकले थे ।
दोस्ती कर लेतेतो मैं खुद ही हार जाता ।
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दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे,
जब कभी हम दोस्त हो जाएँ तो शर्मिंदा न हों ।
- बशीर
बद्र
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जब तक शरीफ रहे तो इलजाम मिलते रहे
अब शराफत छोड दी तो सलाम मिलते है ।
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100 तरह से याद आते हो तुम,
और मुझे करवट ही आती है ।
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उम्र भर याद करोगे के मिला था कोई,
एरे ग़ैरों से मिले वक़्त तो हमसे मिलना
- असद अजमेरी
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एक मदारी के जाने का गम किसको है,
गम तो ये है कि मजमा कौन लगाएगा
- वसीम बरेलवी
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यूँ तो शिकायते तुझ से सैंकड़ों हैं मगर
तेरी एक मुस्कान ही काफी है सुलह के लिये
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मखमल के रिश्तों को ही हिफाज़त की जरूरत है ।
कभी खद्दर के कपड़ों में,कोई अस्तर
नहीं लगाता ।।
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ये दोआ कर ओ मुझे छोड़ के जाने वाले !
ये मेरा दर्द
भी तेरी तरह चला
जाए !!
- असद
अजमेरी
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नज़रों से गिरे दिल से उतर क्यों नहीं जाते !
हद हो गई हम हद से गुज़र क्यों नही जाते !!
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