Mushaira - Geet - चाहत है मेरे मन की, आँखों मे तुम सदा रहो,Chahat Hai Me...
चाहत है मेरे मन की,
आँखों मे तुम सदा रहो,
कभी घटा बन कर छाओ तो,
पुरवाई सा कभी बहो,
नहीं जलेंगे पाँव रेत मे,
धूप तराने गाएगी
गर तुम सांस सांस मे महको,
कस्तुरी की व्यथा कहो |
- लोकेश शुक्ल
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