ROOH-E-SHAYARI
हज़ार बार जो माँगा करो तो क्या हासिल
दुआ वही है जो दिल से कभी निकलती है
- दाग़
देहलवी
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शोहरत मिली तो उसने भी लहज़ा बदल दिया !
दौलत ने कितने लोगों का शिजरा बदल दिया !!
मैंने भी उसके लिखे हुए ख़त जला दिए !
उसने भी अपनी खिड़की का परदा बदल दिया !!
- मुनव्वर
सुल्ताना
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एक टीका बचपन में मोहब्बत की रोक थाम का भी लगाना था,
सबसे ज्यादा मरीज तो इस बीमारी के हैं।।
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मुझे नहीं आती उड़ती पतंगों सी चालाकियाँ..
गले मिलकर गला काटूं वो मांझा नहीं हूँ मैं!
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वह हर मंजिल को मुश्किल समझते है
हम हर मुश्किल को ही मंजिल समझते हैं
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कश्ती है पुरानी मगर दरिया बदल गया,
मेरी तलाश का भी तो जरिया बदल गया,
न शक्ल बदली न ही बदला मेरा किरदार,
बस लोगो के देखने का नजरिया बदल गया।
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जिक्र तिल का था ...
जब गुड़ पे लगा तो गज़क हो गया
जब गाल पे लगा तो गजब हो गया !!
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