ROOH-E-SHAYARI


पहाड़ियों की तरह खामोश है आज के संबंध और रिश्ते !
जब तक खुद  न पुकारो, उधर से आवाज ही नहीं आती !!
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जिसे न आने की कसमें में दे के आया हूं,

उसी के क़दमों की आहट का है, इंतजार मुझे।
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कतरा-कतरा वस्ल निचोड़ा आँखों से !

तब जाकर ये हिज़्र मेरा लबरेज़ हुआ !!
~ सुमित सिंह 'क़ासिद' देहलवी
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इक एक करके, छोड़ दिया सबने मेरा साथ !

तूने दिया है साथ,तुझे मुफ़लिसी सलाम !!
- असद अजमेरी
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आता है कौन कौन तेरे गम को बांटने

तू अपनी मौत की अफ़वाह उड़ा के देख
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तारीखों में बंध गया है अब इजहार ए मोहब्बत भी

रोज प्यार जताने की अब किसी को फुर्सत कहां
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इलाज अपना कराते फिर रहे हो जाने किस किस से,

मोहब्बत कर के देखो ना मोहब्बत क्यूँ नहीं करते
~ फ़रहत एहसास
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कौन सी जा है जहाँ जल्वा-ए-माशूक़ नहीं

शौक़-ए-दीदार अगर है तो नज़र पैदा कर
~ अमीर मीनाई
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दिल पे हरगिज़ ना लीजिए अगर, कोई आपको बुरा कहे,

    कायनात में ऐसा कोई है ही नहीं, जिसे हर शख्स अच्छा कहे
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ज़िन्दगी में एक ऐसे इंसान का होना बहुत ज़रूरी है,

जिसको दिल का हाल बताने के लिए लफ़्ज़ों की जरुरत न पड़े
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क़िताब-ए-दिल का कोई भी, स़फा ख़ाली नहीं होता,

दोस्त वहाँ भी हाल पढ़ लेते हैं, जहाँ कुछ लिखा नहीं होता !
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ख्वाहिशों के सिक्के लिए, खुशियां खरीदने निकले थे हम !

उम्र की पहली गली में ही, जिम्मेदारियों ने लूट लिया
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अपने दिल मे इंकलाब की एक नई बुनियाद रखें ।

सबसे पहले देश रखें हम खुद को उसके बाद रखें।
सुख में हमे बसाने पंकज जिनके जीवन उजड़ गए।
एक मुहल्ला हम यादों में उनका भी आबाद रखें।।
- पंकज अंगार
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मेरी फितरत में नहीं, अपना ग़म बयाँ करना,

तेरे वजूद का हिस्सा हूँ, तो महसूस कर तकलीफ मेरी
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मेरे ऐब तो जमाने में उजागर हैं,

फिक्र वो करें जिनके गुनाह पर्दे में हैं
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वो क्या है राज़ ये ऒरों पे खोल देता है !

वो सोचता  भी नहीं, ऒर बोल देता है !!
- असद अजमेरी
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सीखते रहे उम्र भर लहरों से लड़ने का हुनर,

हमें कहां पता था कि किनारे भी का़तिल निकलेंगे
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वो तब भी थी,अब भी है, और हमेशा रहेगी,

ये रूहानी मोहब्बत है,कोई तालीम नहीं,जो पूरी हो जाए
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यकीन करो आज इस कदर याद आ रहे हो तुम

जिस कदर तुमने भुला रखा है मुझे
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नेकियां करके जो दरिया में डाल दीं थी कभी !

वो सब मिलीं मुझे तूफ़ां में  किनारा  बन कर. !!
- असद अजमेरी
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हमने ख़ामोश रह के देखा है,

लोग दो दिन में भूल जाते हैं !
-असद अजमेरी
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मुझे  लफ़्ज़ों  से बाहर  देखियेगा,

मैं लफ़्ज़ों में बहुत सिमटा हुआ हूँ
- असद अजमेरी
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