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Showing posts from January, 2021

Show Reel of Sunder Kand Organized By Rotary Clab Atulya, Kanpur on 26th...

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रोटरी अतुल्य कानपुर के द्वारा ७२वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर भारत की एकता और अखंडता के लिए सुंदर काण्ड का आयोजन किया गया जिसमे शहर के गणमान्य अतिथियों ने आ कर प्रभु राम की वंदना की | इस अवसर पर नव निर्वाचित विधायक श्री सलिल विश्नोई जी उपस्थित थे वहीँ रोटरी गवर्नर श्री डी. सी शुक्ला जी , श्री ओ.पी. अग्रवाल, श्री गुलशन धूपर जी आदि उपस्थित रहे | प्रस्तुत है कुछ यादगार फोटो की श्रंखला जिसे आप सब पसंद करेंगे | बैक ग्राउंड संगीत में सुप्रसिद्ध सुंदर काण्ड के साधक परम श्रद्धेय श्री अजय याज्ञिक जी के द्वारा पूर्व में गाई गई चौपाइयों और श्री राम वंदना को इस्तेमाल किया है |  # +91 9984555545 कृपया इस विडिओ को ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करने की कृपा करें एवं हमारे यू ट्यूब चैनल को लाइक व् सबस्क्राइब करने के कृपा करें ! https://youtu.be/RC8JQhDrPPA

ZARA HAULEY HAULEY CHALO MORE SAJNA - COVER & LIVE BY SUMAN SINGH ( WITH...

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ज़रा हौले-हौले चलो मोरे साजना हम भी पीछे हैं तुम्हारे, कैसी भीगी-भीगी रुत है सुहानी कैसे प्यारे नज़ारे - Suman Singh https://youtu.be/ATkiEPc-hJI

मोदी कौन है

'मोदी कौन है ?' इसका जवाब एक जानकार राजनैतिक वैद्य ने बड़ा सुंदर समझाया। आयुर्वेद और मेडिकल सांईस में 'शहद' को अमृत के समान माना गया हैं। लेकिन आश्चर्य इस बात का है कि शहद को अगर 'कुत्ता' चाट ले तो वह मर जाता हैं।  यानी जो मनुष्यों के लिये अमृत हैं वह शहद कुत्तों के लिये जहर है। शुद्ध 'देशी गाय के घी' को आयुर्वेद और मेडिकल सांईस औषधीय गुणों का भंडार मानता हैं। मगर आश्चर्य, गंदगी से प्रसन्न रहने वाली 'मक्खी' कभी शुद्ध देशी घी को नहीं खा सकती। गलती से अगर मक्खी देशी घी पर बैठ कर चख भी ले तो वो तुरंत तड़प तड़प कर वहीं मर जाती है। आर्युवेद में 'मिश्री' को भी औषधीय और श्रेष्ठ मिष्ठान्न माना गया हैं। लेकिन आश्चर्य, अगर *गधे* को एक डली मिश्री खिला दी जाए, तो कुछ समय में उसके प्राण पखेरू उड़ जाएंगे। यह अमृत समान श्रेष्ठ मिष्ठान, मिश्री गधा कभी नहीं खा सकता हैं। 'नीम' के पेड़ पर लगने वाली पकी हुई निम्बोली में कई रोगों को हरने वाले औषधीय गुण होते हैं। आयुर्वेद उसे "उत्तम औषधि" कहता हैं। लेकिन रात दिन नीम के पेड़ पर रहने वाला 'कौव

दोहे

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कुछ दोहे 1- मैंने लफ़्ज़ों में भरी, कुछ ख़ुशियांँ कुछ पीर काग़ज़ पर फिर बन गई, जीवन की तस्वीर। 2- मैया  बोली  श्याम से ,  सुन  ले   मेरे   लाल माखन जब खायो नहीं, लिपटा  कैसे  गाल। 3- नदियांँ  करतीं शोर  तो , सागर  है   गम्भीर जिसमें  जितना ज़र्फ़ है , उसमें  उतना धीर। 4-  शाम  ढले  पंछी  चले , अपने-अपने   नीड़ उमड़ी  है  आकाश   में ,अच्छी ख़ासी भीड़। 5- मीठी  वाणी  खीर- सी,  कड़ुवी वाणी  तीर वाणी से मत  दीजिए ,कभी किसी को पीर। 6- पनघट  रोया  देर तक,   आँखें  रहीं  उदास आते जाते   लोग  सब ,भूल गए क्या प्यास। 7- पीपल ,पनघट,पोखरा,  अमरैया   की  छाँव माँ  आँचल फैला रही ,छोड़ दिया क्यों गाँव। 8- दुःशासन  हैं   घूमते ,खुली सड़क पर आज चीख़ रही  है  द्रौपदी,  कान्हा  राखो  लाज। 9- संदल  के हर  पेड़ पर, नागों  का घर-बार लेकिन  इनके दंश से  ,संदल   कब बेज़ार। 10- दोहे  खीचें   वक़्त की,  दरपन - सी  तस्वीर लफ़्ज़ लफ़्ज़ कर दे बयां,सच की हर तहरीर। 11- सूरज  आंँखें  खोलता , पंछी  करते  शोर आती  मेरे  गांँव  में ,   यूँ   मुस्काती भोर। 12- रूठा-रूठा  आईना , बुझी -बुझी तहरीर जैसा दिल का हाल था, बनी वही तस्वीर।

पाप और पुण्य

श्री गुरूदेव का  दर्शन किस रूप में मिले, इसलिए सतर्क रहें  -:: पाप/पुण्य और भगवान ::- एक सेठ बस से उतरे,उनके पास कुछ सामान था।आस-पास नजर दौडाई,तो उन्हें एक मजदूर दिखाई दिया । सेठ ने आवाज देकर उसे बुलाकर कहा-"अमुक स्थान तक इस सामान को ले जाने के कितने पैसे लोगे?' 'आपकी मर्जी,जो देना हो,दे देना,लेकिन मेरी शर्त है कि जब मैं सामान लेकर चलूँ,तो रास्ते में या तो मेरी सुनना या आप सुनाना । सेठ ने डाँट कर उसे भगा दिया और किसी अन्य मजदूर को देखने लगे,लेकिन आज वैसा ही हुआ जैसे राम वन गमन के समय गंगा के किनारे केवल केवट की ही नाव थी। मजबूरी में सेठ ने उसी मजदूर को बुलाया।मजदूर दौड़कर आया और बोला -"मेरी शर्त आपको मंजूर है?" सेठ ने स्वार्थ के कारण हाँ कर दी।                                                   सेठ का मकान लगभग ५००मीटर की दूरी पर था।मजदूर सामान उठा कर सेठ के साथ चल दिया और बोला.सेठजी आप कुछ सुनाओगे या मैं सुनाऊँ। सेठ ने कह दिया कि तू ही सुना। मजदूर ने खुशहोकर कहा-'जो कुछ मैं बोलू,उसे ध्यान से सुनना ,यह कहते हुए मजदूर पूरे रास्ते बोलता गया ।और दोनों मकान तक पहु

हमने क्या क्या देखा है

-:: हमने क्या क्या देखा है ::- अर्थ बड़े गहरे हैं गौर फरमायें.. मैंने .. हर रोज .. जमाने को .. रंग बदलते देखा है ....! उम्र के साथ .. जिंदगी को .. ढंग बदलते देखा है .. ! वो .. जो चलते थे .. तो शेर के चलने का .. होता था गुमान..! उनको भी .. पाँव उठाने के लिए .. सहारे को तरसते देखा है ! जिनकी .. नजरों की .. चमक देख .. सहम जाते थे लोग ..! उन्ही .. नजरों को .. बरसात .. की तरह ~~ बरसते देखा है .. ! जिनके .. हाथों के .. जरा से .. इशारे से ..पत्थर भी कांप उठते थे..! उन्ही .. हाथों को .. पत्तों की तरह .. थर थर काँपते देखा है .. ! जिन आवाज़ो से कभी .. बिजली के कड़कने का .. होता था भरम ..! उन.. होठों पर भी .. मजबूर .. चुप्पियों का ताला .. लगा देखा है .. ! ये जवानी .. ये ताकत .. ये दौलत ~ सब कुदरत की .. इनायत है ..! इनके .. जाते ही  .. इंसान को ~ बेजान हुआ देखा है ... ! अपने .. आज पर .. इतना ना .. इतराना ~ मेरे .. यारों ..! वक्त की धारा में .. अच्छे अच्छों को ~ मजबूर होता देखा है .. !   कर सको..तो किसी को खुश करो...दुःख देते ...हुए....तो हजारों को देखा है ।।।

बहू - एक कहानी

::- बहू -:: बेटा-बहु अपने बैड रूम में बातें कर रहे थे। द्वार खुला होने के कारण उनकी आवाजें बाहर कमरे में बैठी माँ को भी सुनाई दे रहीं थीं।बेटा—” अपने job के कारण हम माँ का ध्यान नहीं रख पाएँगे, उनकी देख भाल कौन करेगा ? क्यूँ ना, उन्हें वृद्धाश्रम में दाखिल करा दें, वहाँ उनकी देखभाल भी होगी और हम भी कभी कभी उनसे मिलते रहेंगे। ”बेटे की बात पर बहु ने जो कहा, उसे सुनकर माँ की आँखों में आँसू आ गए।.बहु—” पैसे कमाने के लिए तो पूरी जिंदगी पड़ी है जी, लेकिन माँ का आशीष जितना भी मिले, वो कम है। उनके लिए पैसों से ज्यादा हमारा संग-साथ जरूरी है।मैं अगर job ना करूँ तो कोई बहुत अधिक नुकसान नहीं होगा।मैं माँ के साथ रहूँगी। घर पर tution पढ़ाऊँगी, इससे माँ की देखभाल भी कर पाऊँगी।याद करो, तुम्हारे बचपन में ही तुम्हारे पिता नहीं रहे और घरेलू काम धाम करके तुम्हारी माँ ने तुम्हारा पालन पोषण किया,तुम्हें पढ़ाया लिखाया, काबिल बनाया। तब उन्होंने कभी भी पड़ोसन के पास तक नहीं छोड़ा, कारण तुम्हारी देखभाल कोई दूसरा अच्छी तरह नहीं करेगा, और तुम आज ऐंसा बोल रहे हो। तुम कुछ भी कहो,लेकिन माँ हमारे ही पास रहेंगी, हमेशा, अंत

कुछ तो लोग कहेंगे

एक साधू किसी नदी के पनघट पर गया और पानी पीकर पत्थर पर सिर रखकर सो गया....!!! पनघट पर पनिहारिन आती-जाती रहती हैं!!! तो आईं तो एक ने कहा- "आहा! साधु हो गया, फिर भी तकिए का मोह नहीं गया... पत्थर का ही सही, लेकिन रखा तो है।" पनिहारिन की बात साधु ने सुन ली... उसने तुरंत पत्थर फेंक दिया... दूसरी बोली-- "साधु हुआ, लेकिन खीज नहीं गई.. अभी रोष नहीं गया,तकिया फेंक दिया।" तब साधु सोचने लगा, अब वह क्या करें ? तब तीसरी बोली- "बाबा! यह तो पनघट है,यहां तो हमारी जैसी पनिहारिनें आती ही रहेंगी, बोलती ही रहेंगी, उनके कहने पर तुम बार-बार परिवर्तन करोगे तो साधना कब करोगे?" लेकिन चौथी ने बहुत ही सुन्दर और एक बड़ी अद्भुत बात कह दी- "क्षमा करना,लेकिन हमको लगता है,तूमने सब कुछ छोड़ा लेकिन अपना चित्त नहीं छोड़ा है,अभी तक वहीं का वहीं बने हुए है। दुनिया पाखण्डी कहे तो कहे, तूम जैसे भी हो,हरिनाम लेते रहो।" सच तो यही है, दुनिया का तो काम ही है कहना... आप ऊपर देखकर चलोगे तो कहेंगे...  "अभिमानी हो गए।" नीचे दखोगे तो कहेंगे...  "बस किसी के सामने देखते ही नहीं।&qu

“मैं न होता, तो क्या होता?”

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सुंदरकांड में एक प्रसंग अवश्य पढ़ें !   “ मैं न होता , तो क्या होता ?”   “ अशोक वाटिका" में जिस समय रावण क्रोध में भरकर , तलवार लेकर , सीता माँ को मारने के लिए दौड़ पड़ा , तब हनुमान जी को लगा , कि इसकी तलवार छीन कर , इसका सर काट लेना चाहिये!   किन्तु , अगले ही क्षण , उन्हों ने देखा "मंदोदरी" ने रावण का हाथ पकड़ लिया ! यह देखकर वे गदगद हो गये! वे सोचने लगे , यदि मैं आगे बड़ता तो मुझे भ्रम हो जाता कि यदि मै न होता , तो सीता जी को कौन बचाता ?   बहुधा हमको ऐसा ही भ्रम हो जाता है , मैं न होता , तो क्या होता ? परन्तु ये क्या हुआ ? सीताजी को बचाने का कार्य प्रभु ने रावण की पत्नी को ही सौंप दिया! तब हनुमान जी समझ गये , कि प्रभु जिससे जो कार्य लेना चाहते हैं , वह उसी से लेते हैं!   आगे चलकर जब "त्रिजटा" ने कहा कि "लंका में बंदर आया हुआ है , और वह लंका जलायेगा!" तो हनुमान जी बड़ी चिंता मे पड़ गये , कि प्रभु ने तो लंका जलाने के लिए कहा ही नहीं है , और त्रिजटा कह रही है कि उन्होंने स्वप्न में देखा है , एक वानर ने लंका जलाई है! अब उन्हें क्या करना चाहिए ? जो प्रभु

Yun Dawat-E-Sharab Na Do Main Nashe Mein Hun- Cover by Pradeep Srivastav...

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"Thukrao Ab Ke Pyar Karo Main Nashe Mein Hun"   This is Live performance in the Marriage function of Harsh Pandey S/o Sri Vijay Kumar, Ex. Addl.Director (System) with my own style. Please don't compare with original Song of Jagjit Singh ji.   यूं दावते शराब न दो मैं नशे में हूँ, ये दूसरी शराब न दो, मैं नशे में हूँ ! - कृष्ण बिहारी नूर ठुकराओ अब के प्यार करो मैं नशे में हूँ ! - शाहिद कबीर  

Faza Bhi Hai Jawan Jawan - Cover & Live By Suman Singh (With Lyric)

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Faza Bhi Hai Jawan Jawan - Cover & Live By Suman Singh (With Lyric) श्री विजय कुमार जी पूर्व अपर निदेशक ( सिस्टम ) , आयकर विभाग के सुपुत्र श्री हर्ष पाण्डेय के विवाह के अवसर पर दिनांक १० दिसंबर 2020 को सुमन सिंह के द्वारा गाया फिल्म निकाह का ये गीत प्रस्तुत है | तबला - श्री अखिलेश सोनी, पैड- श्री आशीष धोले साउंड - काशी साउंड, कानपुर https://youtu.be/u 2 MTMi 9 DfcI

Mushaira - Mehtab Haidar - Bahut Hi Soch Samajh Kar - बहुत ही सोच समझ कर...

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बहुत ही सोच समझ कर बिछाई जाती है , बिसात - ए - इश्क़ पर ख़ुद मात खाई जाती है ! चिराग़ - ए - इश्क़ की यूँ लौ बढ़ाई जाती है , नक़ाबे हुस्न उठाई गिराई जाती है ! - मेहताब हैदर https://youtu.be/j 1 T 7 Nufvpvc  

GHAzal - घर को सजाये रखना जब तक कि मैं ना आऊँ

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घर को सजाये रखना जब तक कि मैं ना आऊँ, दीपक जलाये रखना जब तक कि मैं न आऊँ ! मिलने की आरज़ू में ऑंखें जो डबडबायें, आंसू छुपाये रखना जब तक कि मैं न आऊँ !   घर के क़रीब आऊँ तो पहले मैं तुमको देखूं, चिलमन उठाये रखना, जब तक कि मैं ना आऊँ !   गोरी हथेलियों से लाली न छुटने पाये, मेहंदी रचाये रखना, जब तक कि मैं न आऊँ ! - शाहिद लखनवी सर्वाधिकार सुरक्षित - प्रदीप श्रीवास्तव   

मां और बेटी

-:: माँ और बेटी ::- 🟠एक सौदागर राजा के महल में दो गायों को लेकर आया - दोनों ही स्वस्थ, सुंदर व दिखने में लगभग एक जैसी थीं। सौदागर ने राजा से कहा "महाराज - ये गायें माँ - बेटी हैं परन्तु मुझे यह नहीं पता कि माँ कौन है व बेटी कौन - क्योंकि दोनों में खास अंतर नहीं है। मैंने अनेक जगह पर लोगों से यह पूछा किंतु कोई भी इन दोनों में माँ - बेटी की पहचान नहीं कर पाया बाद में मुझे किसी ने यह कहा कि आपका बुजुर्ग मंत्री बेहद कुशाग्र बुद्धि का है और यहाँ पर मुझे अवश्य मेरे प्रश्न का उत्तर मिल जाएगा. इसलिए मैं यहाँ पर चला आया - कृपया मेरी समस्या का समाधान किया जाए।" यह सुनकर सभी दरबारी मंत्री की ओर देखने लगे मंत्री अपने स्थान से उठकर गायों की तरफ गया। उसने दोनों का बारीकी से निरीक्षण किया किंतु वह भी नहीं पहचान पाया कि वास्तव में कौन मां है और कौन बेटी ? अब मंत्री बड़ी दुविधा में फंस गया, उसने सौदागर से एक दिन की मोहलत मांगी। घर आने पर वह बेहद परेशान रहा - उसकी पत्नी इस बात को समझ गई। उसने जब मंत्री से परेशानी का कारण पूछा तो उसने सौदागर की बात बता दी। यह सुनकर पत्नी  हुए बोली 'अरे ! ब

रोटरी राष्ट्रीय टीकाकरण जागरूक यात्रा 24 जनवरी 2021- ROTARY CLUB OF ATUL...

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आज २४ जनवरी , २०२१ को रोटरी राष्ट्रीय टीकाकरण जागरूक यात्रा का आयोजन किया गया | जिसमे रोटरी क्लब अतुल्य के द्वारा मोतीझील से एक रैली निकाली  गई जो शहर के विभिन्न क्षेत्रों से होते हुए ग्रीनपार्क में समाप्त हुई | प्रस्तुत है रोटरी अतुल्य के द्वारा आयोजित रैली के कुछ फोटोग्राफ |    https://youtu.be/txt5HxneFkk

तुरंत आवश्यकता है

-:: तुरंत आवश्यकता है -:: (1) एक इलेक्ट्रिशियन: जो ऐसे दो व्यक्तियों के बीच कनेक्शन कर सके जिनकी आपस में बातचीत बन्द है। (2) एक ऑप्टिशियन: जो लोगों की दृष्टि के साथ दृष्टिकोण में भी सुधार कर सके। (3) एक चित्रकार: जो हर व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान की रेखा खींच सके। (4) एक राज मिस्त्री: जो दो पड़ोसियों के बीच पुल बनाने में सक्षम हो। (5) एक माली: जो अच्छे विचारों का रोपण करना जानता हो। (6) एक प्लम्बर: जो टूटे हुए रिश्तों को जोड़ सके। (7) एक वैज्ञानिक: जो दो व्यक्तियों के बीच ईगो का इलाज खोज सके। और सबसे महत्वपूर्ण: (8) एक शिक्षक: जो एक दूसरे के साथ विचारों का सही आदान प्रदान करना सिखा सके।

-:: सनातन धर्म की 12 बातें ::-

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                         -:: सनातन धर्म की 12 बातें ::-   विश्व में केवल उनका सम्मान होता है जो स्वयं का सम्मान करते है ! 12 बातें जो हर सनातन धर्म अनुयायी  को अवश्य ध्यान रखनी चाहिए।      1.  क्या भगवान राम या भगवान कृष्ण कभी इंग्लैंड के house of lord के सदस्य रहे थे ? नहीं ना... तो फिर ये क्या Lord Rama, Lord Krishna लगा रखा है ?  सीधे सीधे भगवान राम , भगवान कृष्ण कहिये - अंग्रेजी में भी ।   2. किसी की मृत्यु होने पर RIP बिलकुल मत कहिये।  यानी rest in peace जो दफ़नाने वालों के लिए कहा जाता है।   आप कहिये - "ओम शांति" , अथवा "मोक्ष प्राप्ति हो" !  आत्मा कभी एक स्थान पर आराम या विश्राम नहीं करती ! आत्मा का पुनर्जन्म होता है अथवा उसे मोक्ष मिलता है !   3. अपने रामायण एवं महाभारत जैसे ग्रंथों को कभी भी mythological मत कहियेगा !      "mythological" शब्द बना है " myth" से और " myth" शब्द बना है हिंदी के "मिथ्या" शब्द से।     " मिथ्या" अर्थात ' झूठा ' या ' जिसका कोई अस्तित्व ना ह

Chhu Kar Mere Man Ko_ Covery By Pradeep Srivastava , Ghazal Singer

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Ghazal - मुझको तन्हाईयां डस रही हैं

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मुझको तन्हाईयां डस रही हैं   मुझको तन्हाईयां डस रही हैं, आप महफ़िल सजाने लगे हैं ! मेरी आँखों से बहते हैं आंसू, आप हंसने हँसाने लगे हैं ! मुझको- - - - मेरी आँखों में है बेक़रारी, आपकी आँखों में है खुमारी, मैं हूँ प्यासा का प्यासा अभी तक, आप पीने पिलाने लगे हैं ! मुझको- - - -   आपकी याद आती है मुझको, याद आ कर रुलाती है मुझको, आपका दिल है पत्थर के जैसा, आप मुझको भुलाने लगे हैं ! मुझको- - - -   आप ग़ैरों से करते हैं बातें, जाग के काटता हूँ मैं रातें, मेरी ऑंखें है सूनी की सूनी, आप सपने सजाने लगे हैं ! मुझको- - - - बेरहम, बेवफ़ा, बेमुरव्वत, आप क्या जाने क्या है मोहब्बत, आपको प्यार है ज़िन्दगी से, जान से हम तो जाने लगे हैं ! - प्रदीप श्रीवास्तव 'रौनक़ कानपुरी  

GHAZAL-ISHQ KAHTE HAIN KISE YE ASHIQI KYA CHEEZ HAI

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GHAZAL ISHQ KAHTE HAIN KISE YE ASHIQI KYA CHEEZ HAI   इश्क़ कहते हैं किसे, ये आशिक़ी क्या चीज़ है, दिल लगा के मैंने समझा, दिल्लगी क्या चीज़ है !   मेनका ने जब रिझाया पल में विश्वामित्र को, तो समझ लो कलयुग में आदमी क्या चीज़ है !   साँसों में जिसकी महक है, वो तो मुझसे दूर है, सांस के बिन उसके बिन भी, ज़िन्दगी क्या चीज़ है !   जब भी मैंने तुझको देखा, चाँद सूरज बुझ गए हैं, अब मेरी आँखों ने समझा, रौशनी क्या चीज़ है !   दोस्तों ने भी ना जाना, दोस्ती का कुछ लिहाज़, दुश्मनों को क्या है मालूम, दोस्ती क्या चीज़ है !   सुन अजां को हिन्दुओं ने छोड़ा सारे काम को, मुस्लिमो को भी है मालूम, आरती क्या चीज़ है !   बेवफ़ा के रूख पे रौनक़, बावफ़ा का दिल उदास, रौनके रुख़ समझेगा की, बेरुख़ी क्या चीज़ है !   - प्रदीप श्रीवास्तव 'रौनक़'   

BHAJAN - सरस्वती वंदना

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सरस्वती वंदन   हृदय वीणा को बजा दो, सप्त स्वर को तुम सजा दो, करो झंकृत मिलन स्वर को, भेद के सब स्वर मिटा दो ! - - - - मंद स्वर बन कर उदासी, वेदना में श्वास क्यों ले, उषा का वैभव स्वरों से, आज तुम आकर सजा दो ! भेद के सब स्वर मिटा दो ! - - - - मध्य स्वर के प्रांगण में, बज रहा है गीत मेरा, तार सप्तक तक उठा दो, बज उठे संगीत तेरा ! भेद के सब स्वर मिटा दो ! - - - - स्वर तुम्ही को है समर्पित, नहीं कोई रहे शामिल, मधुरता का झरे निर्झर, प्रेम की गंगा बहा दो ! भेद के सब स्वर मिटा दो ! - - - -