हरिनाम सुमिरन

-: हरिनाम सुमिरन :-
हर एक को यह संदेश अच्छा लगेगा और आशा है कि इससे लोग सहमत भी होंगे ..

जब भगवान ने मछली का निर्माण करना चाहा, तो उसके जीवन के लिये उनको समुद्र से वार्ता करनी पड़ी।

जब भगवान ने पेड़ों का निर्माण करना चाहा, तो उन्होंने पृथ्वी से बात की।

लेकिन जब भगवान ने मनुष्य को बनाना चाहा, तो उन्होंने खुद से ही विचार विमर्श किया।

तब भगवान ने कहा: "मुझे अपने आकार और समानता वाला मनुष्य का निर्माण करना है और उन्होंने अपने समान मनुष्य को बनया।"

अब यह बात ध्यान देने योग्य है:

यदि आप एक मछली को पानी से बाहर निकालते हैं तो वह मर जाएगी; और जब आप जमीन से एक पेड़ उखाड़ते हैं, तो वह भी मर जाएगा।

इसी तरह, जब मनुष्य भगवान से अलग हो जाता है, तो वह भी 'मर' जाता है।

भगवान हमारा एकमात्र सहारा है। हम उनकी सेवा और शरणागति के लिए बनाए गए हैं। हमें हमेशा उनके साथ जुड़े रहना चाहिए क्योंकि केवल उनकी कृपा के कारण ही हम 'जीवित' रह सकते हैं।

अतः भगवान से जुड़े रहें।

हम देख सकते हैं कि मछली के बिना पानी फिर भी पानी है लेकिन पानी के बिना मछली कुछ भी नहीं है।

पेड़ के बिना प्रथ्वी फिर भी प्रथ्वी ही है, लेकिन प्रथ्वी के बगैर पेड़ कुछ भी नहीं ...

इसी तरह, मनुष्य के बिना भगवान, भगवान ही है लेकिन बिना भगवान के मनुष्य कुछ भी नहीं !

इस युग में भगवान से जुड़ने का एक सरल उपाय शास्त्रों में वर्णन है- 
हरिनाम सुमिरन

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