हमने क्या क्या देखा है
-:: हमने क्या क्या देखा है ::-
अर्थ बड़े गहरे हैं
गौर फरमायें..
मैंने .. हर रोज .. जमाने को .. रंग बदलते देखा है ....!
उम्र के साथ .. जिंदगी को .. ढंग बदलते देखा है .. !
वो .. जो चलते थे .. तो शेर के चलने का .. होता था गुमान..!
उनको भी .. पाँव उठाने के लिए .. सहारे को तरसते देखा है !
जिनकी .. नजरों की .. चमक देख .. सहम जाते थे लोग ..!
उन्ही .. नजरों को .. बरसात .. की तरह ~~ बरसते देखा है .. !
जिनके .. हाथों के .. जरा से .. इशारे से ..पत्थर भी कांप उठते थे..!
उन्ही .. हाथों को .. पत्तों की तरह .. थर थर काँपते देखा है .. !
जिन आवाज़ो से कभी .. बिजली के कड़कने का .. होता था भरम ..!
उन.. होठों पर भी .. मजबूर .. चुप्पियों का ताला .. लगा देखा है .. !
ये जवानी .. ये ताकत .. ये दौलत ~ सब कुदरत की .. इनायत है ..!
इनके .. जाते ही .. इंसान को ~ बेजान हुआ देखा है ... !
अपने .. आज पर .. इतना ना .. इतराना ~ मेरे .. यारों ..!
वक्त की धारा में .. अच्छे अच्छों को ~ मजबूर होता देखा है .. !
कर सको..तो किसी को खुश करो...दुःख देते ...हुए....तो हजारों को देखा है ।।।
Comments
Post a Comment