Mushaira - Mehtab Haidar - Bahut Hi Soch Samajh Kar - बहुत ही सोच समझ कर...
बहुत ही सोच समझ कर बिछाई जाती है,
बिसात-ए-इश्क़ पर ख़ुद मात खाई जाती है !
चिराग़-ए-इश्क़ की यूँ लौ बढ़ाई जाती है,
नक़ाबे हुस्न उठाई गिराई जाती है !
- मेहताब हैदर
https://youtu.be/j1T7Nufvpvc
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