Ghazal, Rubai - NAAZ PRATAPGADHI - Ashq-E-Gham = अश्क़-ए-ग़म यूँ तेरी फ़ुर...
मुशायरा
मग़रूर को मग़रूर नहीं होने दिया,
मजबूर को मजबूर नहीं होने दिया !
गर्दिश ने तो चाही थी तबाही मेरी,
सरकार ने मंज़ूर नहीं होने दिया !
- नाज़ प्रतापगढ़ी
https://youtu.be/VQi1uSsiKZQ
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