BHAJAN - सरस्वती वंदना

सरस्वती वंदन

 

हृदय वीणा को बजा दो, सप्त स्वर को तुम सजा दो,

करो झंकृत मिलन स्वर को, भेद के सब स्वर मिटा दो !

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मंद स्वर बन कर उदासी, वेदना में श्वास क्यों ले,

उषा का वैभव स्वरों से, आज तुम आकर सजा दो !

भेद के सब स्वर मिटा दो !

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मध्य स्वर के प्रांगण में, बज रहा है गीत मेरा,

तार सप्तक तक उठा दो, बज उठे संगीत तेरा !

भेद के सब स्वर मिटा दो !

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स्वर तुम्ही को है समर्पित, नहीं कोई रहे शामिल,

मधुरता का झरे निर्झर, प्रेम की गंगा बहा दो !

भेद के सब स्वर मिटा दो !

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