ज़रूरत मंदों की मदद कीजिए

30 दिसंबर की रात.....मोहन अपनी पत्नी सुधा संग एक दोस्त के यहां हुई नये साल की पार्टी से लौट रहा था बाहर बड़ी ठंड थी.....दोनों पति पत्नी कार से वापसी घर की और जा रहे थे......तभी सड़क किनारे पेड़ के नीचे
पतली पुरानी फटी चिथड़ी चादर में लिपटे एक
बूढ़े भिखारी को देख मोहन का दिल द्रवित
हो गया....उसने गाडी रोकी...
पत्नी सुधा ने मोहन को हैरानी से देखते हुए कहा...कया हुआ ...गाडी कयो रोकी आपने...
वह बूढ़ा ठंड से कांप रहा है सुधा.... इसलिए गाडी रोकी ......
तो....
अरे यार ....गाडी मे जो कंबल पड़ा है ना...उसे दें देते
है...मोहन बोला....
कया.... वो कंबल.... मोहनजी इतना मंहगा कंबल ....आप इस को देगे .....यार वह उसे ओढेगा नही ब्लकि उसे बेच देगा...ये ऐसे ही होते है....

मोहन मुस्कुरा कर गाडी से उतरा और कंबल डिग्गी से निकालकर उस बुजुर्ग को दे दिया..... ..
सुधा ने गुस्से में मुंह बना लिया....

अगले दिन नववर्ष के पहले दिन यानि 31दिसंबर में भी बड़े गजब की ठंड थी.....
आज भी मोहन और सुधा एक फंग्शन से लौट रहे थे तो सुधा ने कहा ....चलिए मोहन जी एकबार देखे...उस रात वाले बूढ़े का क्या हाल है....
मोहन ने वही गाडी रोकी तो देखा तो बूढ़ा भिखारी वही था मगर उसके पास वह कंबल नहीं था.....अपनी वही पुरानी चादर ओढ़े लेटा था....
सुधा ने आँखे बडी करते हुए कहा.....देखा....मैंने कहा था की वो कंबल उसे मत दो.... बेच दिया होगा जरूर....
दोनों कार से उतर कर उस बूढे के पास गये....
सुधा ने व्यंग्य करते हुए पूछा...कयो बाबा ....रात वाला कंबल कहां है....बेच कर नशे का सामान ले आये क्या...
बूढ़े ने हाथ से इशारा किया थोड़ी दूरी पर एक
बूढ़ी औरत लेटी हुई थी....जिसने वही कंबल ओढा हुआ था 
बूढ़ा बोला....बेटा ...वह औरत पैरों से विकलांग है और उसके कपडे भी कहीं कहीं से फटे हुए है लोग भीख देते वक्त भी गंदी नजरों से देखते है ऊपर से ये ठंड ....
मेरे पास तो कम से कम ये पुरानी चादर तो है, उसके
पास कुछ नहीं था तो मैंने कंबल उसे दें दिया....
सुधा हतप्रभ सी रह गयी......अब उसकी आँखो मे भी आँसु थे वो धीरे से मोहन से बोली.... चलिए...घर से एक कंबल लाकर बाबा जी को दे देते हैं........
दोस्तो .....ईश्वर ने आपको देनेवालो की श्रेणी में रखा है कृपया जरुरत मंदो की मदद जरूर कीजिए 
🙏🙏🙏

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