GHAzal - घर को सजाये रखना जब तक कि मैं ना आऊँ
घर को सजाये रखना जब तक कि मैं ना आऊँ,
दीपक जलाये रखना जब तक कि मैं न आऊँ !
मिलने की आरज़ू में ऑंखें जो डबडबायें,
आंसू छुपाये रखना जब तक कि मैं न आऊँ !
घर के क़रीब आऊँ तो पहले मैं तुमको देखूं,
चिलमन उठाये रखना, जब तक कि मैं ना आऊँ !
गोरी हथेलियों से लाली न छुटने पाये,
मेहंदी रचाये रखना, जब तक कि मैं न आऊँ !
- शाहिद लखनवी
सर्वाधिकार सुरक्षित - प्रदीप श्रीवास्तव
बहुत खूब
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