दोहे

कुछ दोहे
1-
मैंने लफ़्ज़ों में भरी, कुछ ख़ुशियांँ कुछ पीर
काग़ज़ पर फिर बन गई, जीवन की तस्वीर।

2-
मैया  बोली  श्याम से ,  सुन  ले   मेरे   लाल
माखन जब खायो नहीं, लिपटा  कैसे  गाल।

3-
नदियांँ  करतीं शोर  तो , सागर  है   गम्भीर
जिसमें  जितना ज़र्फ़ है , उसमें  उतना धीर।

4-
 शाम  ढले  पंछी  चले , अपने-अपने   नीड़
उमड़ी  है  आकाश   में ,अच्छी ख़ासी भीड़।

5-
मीठी  वाणी  खीर- सी,  कड़ुवी वाणी  तीर
वाणी से मत  दीजिए ,कभी किसी को पीर।

6-
पनघट  रोया  देर तक,   आँखें  रहीं  उदास
आते जाते   लोग  सब ,भूल गए क्या प्यास।

7-
पीपल ,पनघट,पोखरा,  अमरैया   की  छाँव
माँ  आँचल फैला रही ,छोड़ दिया क्यों गाँव।

8-
दुःशासन  हैं   घूमते ,खुली सड़क पर आज
चीख़ रही  है  द्रौपदी,  कान्हा  राखो  लाज।

9-
संदल  के हर  पेड़ पर, नागों  का घर-बार
लेकिन  इनके दंश से  ,संदल   कब बेज़ार।

10-
दोहे  खीचें   वक़्त की,  दरपन - सी  तस्वीर
लफ़्ज़ लफ़्ज़ कर दे बयां,सच की हर तहरीर।

11-
सूरज  आंँखें  खोलता , पंछी  करते  शोर
आती  मेरे  गांँव  में ,   यूँ   मुस्काती भोर।

12-
रूठा-रूठा  आईना , बुझी -बुझी तहरीर
जैसा दिल का हाल था, बनी वही तस्वीर।
- अतिया नूर

साझा काव्य संग्रह
"ये दोहे बोलते हैं"
        से

Comments

Popular posts from this blog

GHAZAL LYRIC- झील सी ऑंखें शोख अदाएं - शायर: जौहर कानपुरी

Ye Kahan Aa Gaye Hum_Lyric_Film Silsila_Singer Lata Ji & Amitabh ji

SUFI_ NAMAN KARU MAIN GURU CHARNAN KI_HAZRAT MANZUR ALAM SHAH