GHAZAL-ISHQ KAHTE HAIN KISE YE ASHIQI KYA CHEEZ HAI
GHAZAL
ISHQ KAHTE HAIN KISE YE ASHIQI KYA CHEEZ
HAI
इश्क़ कहते हैं किसे, ये आशिक़ी क्या
चीज़ है,
दिल लगा के मैंने समझा, दिल्लगी क्या
चीज़ है !
मेनका ने जब रिझाया पल में
विश्वामित्र को,
तो समझ लो कलयुग में आदमी क्या चीज़
है !
साँसों में जिसकी महक है, वो तो
मुझसे दूर है,
सांस के बिन उसके बिन भी, ज़िन्दगी क्या
चीज़ है !
जब भी मैंने तुझको देखा, चाँद सूरज
बुझ गए हैं,
अब मेरी आँखों ने समझा, रौशनी क्या
चीज़ है !
दोस्तों ने भी ना जाना, दोस्ती का
कुछ लिहाज़,
दुश्मनों को क्या है मालूम, दोस्ती
क्या चीज़ है !
सुन अजां को हिन्दुओं ने छोड़ा सारे
काम को,
मुस्लिमो को भी है मालूम, आरती क्या
चीज़ है !
बेवफ़ा के रूख पे रौनक़, बावफ़ा का दिल
उदास,
रौनके रुख़ समझेगा की, बेरुख़ी क्या
चीज़ है !
- प्रदीप श्रीवास्तव 'रौनक़'
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