sugar
क्या घर पर शुगर जाँच करने और लैब में शुगर जाँच कराने में कोई अंतर होता है?
घर पर शुगर जाँच करने और लैब में शुगर जाँच कराने में अंतर होता है।
घर पर उंगलियों को सुई से छेदने पर खून की बूंद निकलती है जिसे टेस्ट स्ट्रिप के अंदर प्रवाहित कर ब्लड शुगर जाँचा जाता है। यह कैपिलीरी शुगर बताता है।
जबकि लैब में हाथ की शिरा (vein ) से खून निकालकर ब्लड शुगर जाँचा जाता है।
कैपिलीरी शुगर हमेशा venous शुगर से ज्यादा होता है।
इस संबंध में एक शोध पत्र के नतीजों पर नज़र डालते हैं, जो 2012 International Conference on Nutrition and Food Sciences (पोषण और आहार विज्ञान पर अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस , 2012) में प्रकाशित हुआ था ।
फास्टिंग में तो ज्यादा अंतर नहीं होता है, पर
Pp (पोस्ट प्रण्डियाल ) में 35 % अंतर हो सकता है।
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प्रयोगात्मक परिणाम
फास्टिंग : वीनस 87 कैपिलीरी 91.6 अंतर : 5.3%
पी पी: वीनस 122 कैपिलीरी 163.8 अंतर : 35%
ऐसा इसीलिए होता है क्योंकि शरीर शुगर को एक क्रम में अब्सॉर्ब करता है , पहले आर्टरी , फिर कैपिलीरी और अंत मे शिरा (वेन )
भारत के शोधपत्र में भी यही निष्कर्ष निकाला है । बस 35 की जगह 25%।
निष्कर्ष:
घर पर उंगलियों को सुई से छेद कर कैपिलीरी शुगर , लैब में हाथ की शिरा (vein ) से खून निकालकर ब्लड शुगर से - ज्यादा होता है।
पीपी में यह 25% -35% ज्यादा होता है
फास्टिंग में 5% ज्यादा
तो अगली बार घर में पी पी शुगर 180 आ जाए तो परेशान न हों हकीकत में यह 140 हो सकता है।
वीनस ब्लड शुगर लेवल स्टेबल होता है और ब्लड शुगर के सारे मान और निष्कर्ष इसी के इर्द गिर्द मापे जाते हैं।
हालांकि बहुत सारे लैब भी हाथ की vein से खून निकालने की जगह प्रिक कर उंगली से खून निकाल जाँच कर देते हैं जो गलत है। इसका कारण है कि लैब टेक्नीशियन इस तथ्य को जानते नहीं हैं।
जागरूक बनें और स्वस्थ रहें।
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