Ghazal - Duniya Hamko Mil Gai Magar, Aap Hamsey Door Ho Gaye - Dr. Qamar...
Duniya Hamko Mil Gai Magar,
Aap Hamsey Door Ho Gaye
कोई नहीं था जला घर हमारे साथ रहा,
सुलगते शहर का मंज़र हमारे साथ रहा !
किसी की चाह में हम डूबते उभरते रहे,
तमाम उम्र समुन्दर हमारे साथ रहा
वो था अजीब उसे फ़ासलों से क़ुर्बत थी,
किस एहतियात से हट कर हमारे साथ रहा !
- - - -
दुनिया हमको मिल गई मगर, आप हमसे दूर हो गए,
रौशनी में आँख क्या खुली, ख़्वाब चूर चूर हो गए !
तेरे नाम तेरे ज़िक्र पर,खुल गए हैं चांदनी के दर,
हमने जब भी तेरी बात की, लफ्ज़ नूर नूर हो गए !
तेरी एक नज़र के वास्ते, दूर तक गए हैं रास्ते,
छोटे छोटे सब चराग़ भी, जल के कोहे तूर हो गए !
हम गुनहगार तो न थे, पर जहाँ में शोर था बहुत,
हो गईं अदालतें भी चुप, हम जो बेक़सूर हो गए !
उसकी चाहतों ने इस क़दर, ज़िन्दगी में रंग भर दिए,
प्यार का दुपट्टा ओढ़ कर, हम क़मर सुरूर हो गए !
- डॉ. क़मर सुरूर
Comments
Post a Comment