Ghazal - मुझको तन्हाईयां डस रही हैं

मुझको तन्हाईयां डस रही हैं 

मुझको तन्हाईयां डस रही हैं, आप महफ़िल सजाने लगे हैं !

मेरी आँखों से बहते हैं आंसू, आप हंसने हँसाने लगे हैं !

मुझको- - - -

मेरी आँखों में है बेक़रारी, आपकी आँखों में है खुमारी,

मैं हूँ प्यासा का प्यासा अभी तक, आप पीने पिलाने लगे हैं !

मुझको- - - - 

आपकी याद आती है मुझको, याद आ कर रुलाती है मुझको,

आपका दिल है पत्थर के जैसा, आप मुझको भुलाने लगे हैं !

मुझको- - - - 

आप ग़ैरों से करते हैं बातें, जाग के काटता हूँ मैं रातें,

मेरी ऑंखें है सूनी की सूनी, आप सपने सजाने लगे हैं !

मुझको- - - -

बेरहम, बेवफ़ा, बेमुरव्वत, आप क्या जाने क्या है मोहब्बत,

आपको प्यार है ज़िन्दगी से, जान से हम तो जाने लगे हैं !

- प्रदीप श्रीवास्तव 'रौनक़ कानपुरी


 

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