चेहरा, लिबास और न गुफ़्तार देखकर। दोस्त बनाता हूँ मैं क़िरदार देखकर ।। - - - - तारीखों में धीरे धीरे व्यतीत हो रहे है, हमारे हर पल अतीत हो रहे है... - - - - "रात भर करवट बदलती रहीं सिलवटें, मुक़म्मल न नींद हुई न ख़्वाब - - - - हक़ीकत की भीड़ से कुछ गुमशुदा सपने ढूँढ रहे हैं !! आज कल हम अपनो में कुछ अपने ढूँढ रहे हैं !! - - - - खुद कफ़स बन गए थे हम दुनिया से छुपाने को उन्हें। जब उनकी तड़प को देखा , तो खुद को नोच डाला।। - - - - तेरा अपना दिखाई दूर तक देता नहीं कोई ! असद तू रोयेगा तो तेरे आंसू कौन पौछेगा !! ~असद अजमेरी - - - - न जाने कितनी कही अनकही बातें साथ ले जाएंगे लोग झूठ कहते हैं कि खाली हाथ आये थे,खाली हाथ जाएंगे - - - - नजाकत ले के आँखों में , वो उनका देखना तौबा , . या खुदा ! हम उन्हें देखें , की उनका देखना देखें । - - - - झुकना ज़रूर लेक़िन , सिर्फ़ उनके सामने ~ जिनके दिल में आपको , झुकता देखने की ज़िद ना हो. - - - - एक परवाह ही बताती है कि ख़याल कितना है , वरना कोई तराज़ू नहीं होता रिश्तों में !