SHAYARI
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अभी हो
खूबसूरत तुम तो आशिक भी बहुत से हैं !
जो कलकी
झुर्रियां चूमे,वो आशिक़
देख लो हम हैं !!
~असद अजमेरी
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मुद्दत
से उसकी छाँव में बैठा नहीं कोई,
वो सायादार पेड़ इसी गम में गुजर गया ।।
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इक आशना
से दर्द ने चौंका दिया मुझे,
मैं तो
समझ रहा था मेरा जख्म भर गया ।।
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मैं तो
किसी ख्याल के, तनहा सफर
में था,
फिर क्यूँ लगा करीब
से कोई गुजर
गया ।।
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मेरे ही साथ
शाद सफर
खतम हो गया,
मैं रूक
गया जहाँ वहाँ रस्ता ठहर
गया ।।
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खामोशी
छुपाती ऐब और हुनर दोनों
शख्सियत
का अंदाजा गुफ्तगू
से होता है
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कितने ही दिल तोडती है ये फरवरी,
यूँ ही नहीं बनाने वाले ने इसके दिन घटाये होंगे
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इस बात से वो शख़्स परेशान बहुत है !
मैं उसको परेशान असद क्यूँ नहीं करता !!
~असद अजमेरी
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सब कुछ
पा लिया तुमसे इश्क करके
बस कुछ
रह गया तो वो तुम ही थे
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मरकर भी
तुझको देखते रहने की हसरत में
आँखें भी
किसी को अमानत में दे जायेंगे हम
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उनके
देखे से आ जाती है मुँह पे जो रौनक
वो समझते
है बीमार का हाल अच्छा है
हमको
मालूम है जन्नत की हकी़क़त लेकिन
दिल को
बहलाने के लिए "ग़ालिब", ये खयाल अच्छा है
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यकीन करो
आज इस कदर याद आ रहे हो तुम
जिस कदर
तुमने भुला रखा है मुझे
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किसी के
लम्स की तासीर है कि बरसों बाद
मिरी
किताबों में अब भी गुलाब जागते हैं
~अख़लाक़ बन्दवी
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अब्र के
साए सा साथ-साथ चलता है !
तू साथ
है तो ख़िज़ाँ भी शादमानी है !!
®फिरोज़ खान
अल्फ़ाज़
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शाम हुई
तो सूरज सोचे
सारा दिन
बेकार जले थे
~प्रेम भण्डारी
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मेरी
पसंद लाजवाब है
आप अपनी
ही मिसाल ले लीजिए
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खुश्क आँखों से भी अश्कों की महक आती है,
मैं तेरे गम को ज़माने से छुपाऊं कैसे
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