SHAYARI
मेरे दुश्मन भी मेरे मुरीद हैं शायद,
वक्त बेवक्त मेरा नाम लिया करते हैं
मेरी गली से गुजरते हैं छुपा के खंजर,
रूबरू होने पर सलाम किया करते हैं
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मुद्दतें गुज़र गई कभी
हिसाब नहीं किया,
न जाने अब किसके कितने
रहे गये हैं हम - - - -
ठहरने की इजाज़त हर किसी को देती है दुनिया
बस बसने की चाहत मन से निकाल दीजे।
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जिन्हे गुस्सा आता है,वो लोग सच्चे होते है,
मैने अक्सर झूठो को, मुस्कुराते हुए देखा है॥
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"गिरना
भी अच्छा है, औकात का पता चलता है,
बढ़ते है जब हाथ
उठाने को,अपनों का पता चलता है"।
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खूबसूरती हमेशा दिल और जमीर में होती है
लोग बेवजह उसे शक्ल और कपड़ों में टटोलते हैं
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पारस हो गए हैं हम यूँ छू करके तुम्हें !
ना उम्र बढती है, ना इश्क घटता है !
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सर गिरे सजदे में, दिल में दग़ा-बाज़ी हो,
ऐसे सजदों से भला, कैसे ख़ुदा राज़ी हो
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कभी इश्क पिलाओ चाय में
हम खुद तुम्हारे हो जाएंगे
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ऐसी भी क्या खुमारी साहब
जो हमसे छूट जाये ये दिलेबन्दगी
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सब ओढ़ लेगें मिट्टी की चादर को एक दिन
दुनिया का हर चिराग हवा की नजर में है
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