SHAYARI

चेहरा, लिबास और न गुफ़्तार देखकर।
दोस्त बनाता हूँ मैं क़िरदार देखकर ।।
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तारीखों में धीरे धीरे व्यतीत हो रहे  है,
हमारे हर पल अतीत हो रहे है...
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"रात भर करवट बदलती रहीं सिलवटें,
मुक़म्मल न नींद हुई न ख़्वाब
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हक़ीकत की भीड़ से कुछ गुमशुदा सपने ढूँढ रहे हैं !!
आज कल हम अपनो में कुछ अपने ढूँढ रहे हैं !!
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खुद कफ़स बन गए थे हम दुनिया से छुपाने को उन्हें।
जब उनकी तड़प को देखा,तो खुद को नोच डाला।।
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तेरा अपना दिखाई दूर तक देता नहीं कोई ! 
असद तू रोयेगा तो तेरे आंसू कौन पौछेगा !!
~असद अजमेरी
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न जाने कितनी कही अनकही बातें साथ ले जाएंगे
लोग झूठ कहते हैं कि खाली हाथ आये थे,खाली हाथ जाएंगे
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नजाकत ले के आँखों में, वो उनका देखना तौबा,
.या खुदा ! हम उन्हें देखें, की उनका देखना देखें ।
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झुकना ज़रूर लेक़िन, सिर्फ़ उनके सामने~
 जिनके दिल में आपको, झुकता देखने की ज़िद ना हो.
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एक परवाह ही बताती है कि ख़याल कितना है,
वरना कोई तराज़ू नहीं होता रिश्तों में  !
गुलज़ार
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परिंदे रुक मत तुझमे जान बाकी है
मन्जिल दूर है, बहुत उड़ान बाकी है ...
आज या कल मुट्ठी में होगी दुनियाँ 
लक्ष्य पर अगर तेरा ध्यान बाकी है ...
यूँ ही नहीं मिलती रब की मेहरबानी 
एक से बढ़कर एक इम्तेहान बाकी है
जिंदगी की जंग में है हौसला जरुरी
जीतने के लिए सारा जहान बाकी है
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पढ़ता हूँ मैं किताब अपने वजूद की।
हर सफे पे तुम्हारा ही नाम दर्ज क्यों ?
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मेरी तमाम उलझने सुलझ जाती है !
जब मेरी नजरें तेरी नजरों से मिल जाती है !!
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वाइज़, शराब-ए-नाब को इतना न कोसिए,
जन्नत में आप भी तो पियेंगे, अगर गए।
- बेख़ुद देहलवी
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कुछ इस तरह से अब हम में बात होती है !
जो भी  कहना हो स्टेटस प' डाल देते हैं !!
सुभाष राहत, बरेली
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रहेंगे उनके ख्वाबे मुकाम में
चाहे दिल में या दिमाग में
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उसके ईमान की क्या तारीफे हद लिखूँ
जिसने बेइमानी भी इमानदारी से की हो
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