SHAYARI
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कभी नीम
सी ज़िन्दगी, कभी नमक
सी ज़िन्दगी ,
मैं
ढूंढता रहा हूँ उम्र भर, शहद सी
ज़िन्दगी ।
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आंखों से
शुरू हुआ था तुमसे इश्क़ का सफ़र,
नज़रों
में अब भी तुमसे है प्यार बेशुमार
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मोहब्बत को मिटाने में लगीं हैं नफरतें लेकिन !
मोहब्बत आज भी दुनिया में ज़िन्दा है सलामत है !!
~असद अजमेरी
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जब भी
मुस्कराती हो, तबियत
गुलाबी कर जाती हो
गुलाबी
पैरहन में तुम शहर का मौसम भी गुलाबी कर
जाती हो
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किस के चेहरे से उठ गया पर्दा
झिलमिलाए चराग़ महफ़िल के
~हसन बरेलवी
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ग़ज़ल
जवानी, हुस्न, मयखाने लबो रुख़सार बिकते हैं।
हया के
आईने भी अब सरे बाज़ार बिकते हैं।।
शराफ़त, ज़र्फ़, हमदर्दी दिलों से
हो गई रुख़सत।
जहाँ दौलत चमकती है वहीं, किरदार बिकते
हैं।।
हमारे
रेहनुमओं को हुआ क्या है खु़दा जाने।
कभी इस
पार बिकते हैं, कभी उस
पार बिकते हैं।।
ज़रा ख़ुद सोचिए हम पर तबाही क्यूँ न आएगी?
ये दौर
ऐसा है जिसमें, क़ौम के
सरदार बिकते हैं।।
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हमारे
जैसे वफ़ादार कम ही निकलेंगे,
ज़मीन
खोद के देखो तो हम ही निकलेंगे।
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इबादतखानों
में ही क्यों ढूंढते हो मुझे..
मैं वहां
भी हूं जहां तुम गुनाह करते हो..
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शहरों मे
आदमी कहां महफ़ूज़ है असद !
जंगल मे
जानवर है़ मगर ख़ैरियत से हैं !!
~असद अजमेरी
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लफ़्ज़ों में ही
पेश करीयेगा, अपनेपन
की दावेदारियां !
ये शहर ए
नुमाइश है, यहां एहसास
के जौहरी नहीं रहते !!
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रात सुबह
का इंतज़ार नहीं करती
खुशबु
मौसम का इंतज़ार नहीं करती !
जो भी
ख़ुशी मिले उसका आनंद लिया करो,
क्योंकि
जिंदगी वक़्त का इंतज़ार नहीं
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जाने वो
कैसे मुकद्दर
की किताब लिख देता
है ,
साँसे
गिनती की और
ख्वाइशें बेहिसाब लिख देता है.
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जब तेरा
दर्द मेरे साथ वफ़ा करता है
एक समंदर
मेरी आंखों से बहा करता है
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