SHAYARI
तू ही बता दे कैसे काटूँ
रात और ऐसी काली रात
~ज़की काकोरवी
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मसला ये नहीं कि महफ़िल में चाँद सबने देखा,
तकल्लुफ़ ये है कि चाँद ने किसको देखा ।
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ख्वाहिशें आपकी मुकम्मल हो खुदारा
लो तारा बन कर मैं ही टूट जाता हूँ
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एक ही अंजाम है ऐ दोस्त हुस्न ओ इश्क़ का
शम्अ भी बुझती है परवानों के जल जाने के ब'अद
~ अख़तर मुस्लिमी
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मैं खुश हूँ कि कोई मेरी बात तो करता है
बुरा कहता है तो क्या हुआ, वो याद तो करता है
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हर पल मुस्कुराओ, बड़ी “खास” हे जिंदगी,
क्या सुख क्या दुःख ,बड़ी “आस” है जिंदगी !
ना शिकायत करो .ना कभी उदास हो.
जिंदा दिल से जीने का “अहसास” हे जिंदगी !!
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रिश्ता चाहे नजदीक का हो या फिर दूर का ,
हर कोई कहीं न कहीं उम्मीदे संजो ही लेता है ।
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हसरत थी की कभी दोस्त भी हमे मनाये !
पर ये कम्ब्खत दिल कभी दोस्तो से रूठा ही नहीं !!
- - - -ऊंचाई पर पंहुचते है वो,
जो बदला लेने की नही
बदलाव लाने की सोच रखते है ।
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ये अलग बात है के खामोश खड़े रहते हैं,
फिर भी जो लोग बड़े हैं वो बड़े रहते हैं,
ऐसे दरवेशों से मिलता है हमारा शिजरा,
जिनके जूतों में कई ताज पड़े रहते हैं।
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क़लम पास है ,ख़ंजर की ज़रूरत क्या है
पड़े लिखे लोग सलीके से क़त्ल करते हैं
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