SHAYARI
जहाँ उनका दीदार हुआ
सुकून वहीं से शुरू हुआ है
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दिमाग से बनाये हुए रिश्ते बाजार तक चलते है !
और दिल से बनाये रिश्ते आखरी सांस तक चलते है !!
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मुमकिन नहीं है हर रोज मोहब्बत के नए किस्से लिखना, मेरे
दोस्तों अब मेरे बिना अपनी महफ़िल सजाना सीख लो ।।
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ले ये खंज़र फिर सजा ले, अपने म्यान में बदस्तूर,
दुश्मन बहुतेरे मिलेंगे जंग में तुझे, पर दोस्त जैसा सीना नहीं।
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बुरी नज़र से ना देख मुझको देखने-वाले,
मैं लाख बुरा सही तू अपनी नज़र तो खराब ना कर।
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बरसों में एहसास हुआ है हमको अपनी ग़लती का !
ख़ुशबू की उम्मीद थी हमको कुछ काग़ज़ के फूलों से !!
~असद अजमेरी
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