shayari
जीभ दिखा कर यारों को ललचाना वो भी क्या दिन थे,
उनसे फिर मन की बातें मनवाना वो भी क्या दिन थे।
साथ खेलना बात बात में झगड़ा भी होता रहता,
पल भर कुट्टी फिर यारी हो जाना वो भी क्या दिन थे।
~बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
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ना आहों से थे हम वाक़िफ़ ना तो ना तो आंसू बहाते थे !
ये तब की बात है हमने मोहब्बत जब नहीं की थी !!
~असद अजमेरी
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“मैं तेरे रुखसार का रंग हूँ…
जितना तुम खुश रहोगे, उतना मैं सवर जाऊँगा !!”
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