शायरी - SHAYARI
आँखों को अश्क का पता न चलता,
दिल को दर्द का एहसास न होता,
कितना हसीन होता जिंदगी का सफ़र,
अगर मिलकर कभी बिछड़ना न होता।
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दुनिया बहुत डराती है इस दुनिया से कौन डरे
देख के उस को जीते हैं हम जिस पे सौर बार मरे
असद अजमेरी
"ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने,
लम्हों ने ख़ता की थी, सदियों ने सज़ा पाई।"
- मुज़फ़्फ़र रज़्मी
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"ये
जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने,
लम्हों ने ख़ता की थी, सदियों ने सज़ा पाई।"
- मुज़फ़्फ़र
रज़्मी
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"शहर में अपने ये लैला ने मुनादी कर दी,
कोई पत्थर से न मारे मेंरे दीवाने को।"
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'मीर' अमदन
भी कोई मरता है,
जान है तो जहान है प्यारे।"
- मीर
तक़ी मीर
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"क़ैस
जंगल में अकेला ही मुझे जाने दो,
ख़ूब गुज़रेगी, जो मिल बैठेंगे दीवाने दो।
- मियाँ
दाद ख़ां सय्याह
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"दिल के
फफूले जल उठे सीने के दाग़ से,
इस घर को आग लग गई,घर के चराग़ से।"
- महताब
राय ताबां
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चल साथ कि हसरत दिल-ए-मरहूम से निकले,
आशिक़ का जनाज़ा है, ज़रा धूम से निकले।"
- मिर्ज़ा
मोहम्मद अली फिदवी
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"भाँप
ही लेंगे इशारा सर-ए-महफ़िल जो किया,
ताड़ने वाले क़यामत की नज़र रखते हैं।"
- माधव
राम जौहर
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"ऐ सनम
वस्ल की तदबीरों से क्या होता है,
वही होता है जो मंज़ूर-ए-ख़ुदा होता है।"
- मिर्ज़ा
रज़ा बर्क़
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वक्त भी, ये कैसी, पहेली दे गया
उलझने को जिंदगी और समझने
को उम्र दे गया
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न जाने करीब आना किसे कहते हैं !
मुझे तो आपसे दूर जाना ही नहीं आता !!
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"तुझे सोचने में ये दिन गया, तुझे माँगने में ये शब गयी
मेरी ज़ीस्त से मैं विदा हुआ, मेरी ज़िन्दगी से तू कब गयी
मेरे दिल के खाली सराय में किसी शाम कोई जो रुक गया
मुझे बारहा ये भरम हुआ कि तू अब गयी की अब गयी..
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हुस्न के कसीदे तो गढ़ती रहेंगी महफिलें !
झुर्रियां भी प्यारी लगे तो, मान लेना इश्क है !!
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आधा चांद आधा इश्क आधी सी है बंदगी !
मेरे हो और मेरे नहीं कैसी
है यह जिंदगी !
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खोटे सिक्के जो खुद कभी चले नहीं बाजार में,
वो भी कमियाँ खोज रहे हैं आज मेरे किरदार में
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जायका अलग है हमारे लफ़्जो का !
कोई समझ नहीं पाता कोई
भुला नहीं पाता !!
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हर किसी के पास, अपने अपने मायने हैं
खुद को छोड़, सिर्फ दूसरों के लिये
आईने हैं
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हर नज़र में मुमकिन नहीं
है,बेगुनाह रहना !
चलो कोशिश करते हैं कि ख़ुद
की नज़र में,बेदाग रहें !!
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"मेरी आँखों में मुहब्बत की चमक आज भी है,
हॅालाकि उसको मेरे प्यार पर शक आज भी है,
नाव पर बैठ कर धोए थे उसने हाथ कभी,
उस तालाब में मेंहदी की महक आज भी है।
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