SHAYARI
अभी आए, अभी बैठे, अभी दामन संभाला
है !
तुम्हारी
जाऊं जाऊं ने हमारा दम निकाला है !!
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संभल कर
किया करो गैरों से हमारी बुराई,
तुम्हारे
जो अज़ीज़ हैं वही
हमारे मुरीद हैं !!
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क्यूँ
नुमाइश करुँ अपने
माथे पर शिकन की !
मैं, अक्सर मुस्कुरा
के इन्हें
मिटा दिया करतi हूँ !!
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उसे अपने
झूठ, अपनी
गलतियों पर भी गरूर था !!
दफ़न हो
गया मेरा सच,जो
बेक़सूर था !!
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दाम ऊँचे
हो सकते हैं ख्वाहिशों के साहिब !
मगर
खुशियाँ हरगिज़ मंहगी नहीं होती !!
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ऐ उम्र अगर दम
है , तो कर दे
इतनी सी खता,
बचपन तो
छीन लिया, बचपना छीन कर बता
।
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क्या
मुकाबला करेंगी ,तुझसे ये
मगरिबी औरते
तेरा
शेवा, तेरा
हुस्न ,तेरे
जलवे ,लाजवाब
है
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अब देखिये तो किस की जान जाती है,
मैंने उसकी और उसने मेरी कसम खायी है।
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