SHAYARI

हवाएँ अगर मौसम का रुख बदल सकती हैं !
तो दुआएँ मुसीबत के हर पल बदल सकती हैं !
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गिरते हैं सह सवार ही मैदान-ए-जंग में !
वो तिफ्ल क्या गिरेंगे जो घुटनो के बल चले!!
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मुफ़्त में नहीं सीखा उदासी में भी मुस्कराने का हुनर
बदले में ज़िन्दगी की हर ख़ुशी तबाह की है हमने
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हक़ीकत की भीड़ से कुछ गुमशुदा सपने ढूँढ रहे हैं !
आज कल हम अपनो में कुछ अपने ढूँढ रहे हैं !!
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बार बार रफू करता रहता हूँ,जिन्दगी की जेब !!
कम्बखत फिर भी, निकल जाते हैं खुशियों के कुछ लम्हें !!
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उन लोगों से बहस करना बेकार है ,
जो अपने ही झूठ में विश्वास करते है।
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एक के पास नमक है दुसरे के पास मरहम है
तलाश दोनो को घाव की है
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आईने का किरदार कौन सा साफ़ होता है,
सामने जो भी आ जाये उसी के साथ होता है
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लफ़्ज़ों की दहलीज़ पर घायल ज़ुबान है
कोई तन्हाई से कोई महफ़िल से परेशान है.
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छोड़ा नहीं है किसी को यलगारे वक्त ने
खजूर को भी छूआरा बनाके दम लिया
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तुमसा कोई नज़र नहीं आता !
दर बदर माँगना नहीं आता !
झोलियाँ सबकी भरती जाती हैं !
देने वाला नज़र नहीं आता !!
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गजब़ प्यास के मारे हैं हम दोनों इस जहां में
तुम्हारे सामने दरिया है और मेरे सामने तुम
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फिजाओं से उलझ कर एक हसीं यह राज़ जाना हैं !
जिसे कहतें हैं मोहब्बत वह नशा ही कातिलाना है !!
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बेकार बंदूकें ताने खड़ी है दुनियां
तबाह तो मुस्कराहट भी करती हैं
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दिल से दिल हम-कलाम होता है!
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मुस्कुराना तो मेरी शख्सियत का एक हिस्सा है दोस्तों
तुम मुझे खुश समझ कर दुआओ में भूल मत जाना.
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खुदा से मिलती है सूरत मेरे महबूब की !
अपनी तो मोहब्बत भी हो जाती है और इबादत भी !!
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दास्तां सुनाऊं और मजाक बन जाऊं
बेहतर है मुस्कुराऊं और खामोश रह जाऊं

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