SHAYARI

रिश्ता होने से रिश्ता नहीं बनता,
रिश्ता निभाने से रिश्ता बनता है।
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कभी खुद की ही लग जाती है नजर
हमसफर हसीन होना भी गुनाह है
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दिल ही नही महफूज तो
दिल में कौन महफूज होगा.
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ना जाने उसने हमसे ये कैसा राबता रखा..
ना वो करीब आए, ना फासला रखा !!
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'मेरा पानी उतरता देखकर, किनारे पर घर मत बना लेना।
मैं समंदर हूं, लौटकर जरूर आऊंगा'।।
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तुम्हारे मोहल्ले की मिट्टी लगी है पैरों में ..
हमारे मोहल्ले के रास्ते खुशी से पागल हैं !!
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हर सांस सुंदर है !
जबसे तू दिल के अंदर है 
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ले दे के अपने पास फ़क़त इक नज़र तो है
क्यूँ देखें ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम
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गजब है मेरे दिल मे तेरा वजूद
मैं खुद से दूर और तु मुझमें मौजूद
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क़ुदरत ने हम सबको हीरा ही बनाया है ।
बस शर्त ये जो घिसेगा वही चमकेगा ।।
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ना जाने कितने रिश्ते ख़त्म कर दिये इस भ्रम ने
कि मैं ही सही हूँ और सिर्फ़ मैं ही सही हूँ
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ढक कर चलता हूँ जख्मों को अपने आज कल
नमकीन बातें झलकती है लोगों के लहजों में
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ज़र्रों मे रहगुजर के चमक छोड़ जाऊँगा,
पहचान अपनी दूर तलक छोड़ जाऊँगा,
खामोशियों की मौत गंवारा नहीं मुझे,
शीशा हूँ टूटकर भी खनक छोड़ जाऊँगा।
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शरारत न होती , शिकायत न होती
नैनों में किसी के , नज़ाकत न होती
न होती बेकरारी , न होते हम तन्हा
अगर जहाँ में कम्बख्त ये मोहब्बत न होती
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मैं हूँ दिल है तन्हाई है !
तुम भी जो होते तो अच्छा होता !!
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रिश्ते वो बड़े नहीं होते जो जन्म से जुड़े होते है !
रिश्ते वो बड़े होते है जो दिल से जुडे होते है !
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जो फुर्सत मिले तो मुड़कर देख लेना मुझे एक दफ़ा...
तेरे आंखो से घायल होने की चाहत मुझे आज भी है
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शीशा और पत्थर संग संग रहे तो बात नही घबराने की !
शर्त इतनी है कि बस दोनों ज़िद ना करे टकराने की !!
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