-:: शिव भजन ::- बड़ा खूब लगता, मेरा डमरू वाला


 

-:: शिव भजन ::-

गले मे पड़ी देखो सर्पों की माला,

बड़ा खूब लगता, मेरा डमरू वाला !

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खुली हैं जटाएँ, है हाथों मे डमरू,

है माथे पे चन्दा निराले हैं शंभू,

जटाओं मे गंगा, कमर मृग छाला,

बड़ा खूब लगता, मेरा डमरू वाला !

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भभूती है तन पर, है कानों मे कुंडल,

नयन मेरे शिव पर से, हटते न इक पल,

मेरा भोले बाबा है सबसे निराला,

बड़ा खूब लगता, मेरा डमरू वाला !

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मेरे भोले शंकर, बड़े भोले भाले,

जो मांगो वो दे देते हैं डमरू वाले,

पियो ऐसे शंकर की भक्ति का प्याला,

बड़ा खूब लगता, मेरा डमरू वाला !

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रचयिता - सुशील कानपुरी

( कापीराइट - प्रदीप श्रीवास्तव ) 

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