ROOH-E-SHAYARI - 07.10.2020


 

बड़ा मलाल है उस हाथ के छूट जाने का

जिसे शिद्दत से कभी पकड़ा भी नहीं

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सफर में कोई किसी के लिए ठहरता नहीं॰

ना मुड़ के देखा कभी साहिलों को दरिया ने ।

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अब मौत से कह दो कि नाराज़गी ख़त्म कर ले,

वो बदल गया है जिसके लिये हम जिंदा थे ।

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तेरी तारीफ में कुछ लफ्ज़ कम पड़ गए,

वरना हम भी किसी ग़ालिब से कम नहीं ।

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चाहे जिधर से गुजरिये, मीठी सी हलचल मचा दीजिये,

फिर मत कहना चले भी गये और बताया भी  नहीं ।

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हम तो लिख देते हैं, जो भी दिल में आता है हमारे,

आपके दिल को छू जाए तो 'इत्तफाक' समझिये ।

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उसकी जीत से होती है ख़ुशी मुझ को,

यही जवाब मेरे पास अपनी हार का था.

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इस कदर कड़वाहट आई उनकी बातों में,

 आखरी खत दीमक से भी ना खाया गया ।

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तेरी खत  में इश्क की गवाही आज भी है,

 हर्फ़ धुंदले  हो गए पर स्याही आज भी है ।

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मोहब्बत नाम है जिसका, वह ऐसी कैद है यारों

 उम्र बीत जाती है सजा पूरी नहीं होती

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चमचे कभी वफादार नहीं होते,

 वफादार कभी चमचे नहीं हुआ करते ।

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