भाव प्रभाव सिताराम - शम्भुजी
भाव प्रभाव सिताराम:-
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सीता सत्य स्वरूपा हैं जिन्हें साधना एवं त्याग से जीवन में पिरोया जा सकता है,छल बल से नहीं।जनकजी ने सपत्नी साधना की सीता मिली।विवेक की परीक्षा होती है।राम झूठे मृग मारने गए, सीता को छल बल से रावण ले गया।सत में त्याग रज में भोग एवं तम में लोभ है।त्याग में आनन्द भोग में सुख दुख तम में अहंकार एवं विनाश है। सीताराम बिना सत्य के न राम मिले न आराम।सत्य आधार है जीवन का राम ऊर्जा हैं, गति हैं सर्वत्र रमते रामः।जब जीवन छल बल भोग विलास पर चलने लगेगा निश्चित विनाश होगा।जैसा वर्तमान में भोगवादी कोबिड से डरा है।कौन नहीं जानता मृत्यु सत्य है।हर व्यक्ति तनाव में है औऱ विश्व में तनाव है युद्ध जैसी भयानक स्थिति।क्योंकि सत की गति से चलना छोड़ दिया।सीताराम को भूल गये।
सीताराम सीताराम सिताराम कहिये ।
जाई बिधि राखे राम, ताई बिधि रहीये।।
शम्भुजी
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