जीवन का आनंद है ,साठ साल के बाद
::- सेवानिवृति का आनंद -::
मजा रिटायरमेंट का ,सबसे है अनमोल |
जो भी आपको बोलना ,बोलो दिल को खोल ||
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सब बंधन से मुक्त हो ,हो जाते आजाद ,
अपने मन की आप सब ,कर सकते हैं बात ||
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नही तबादले की फिक्र,नहीं फटाफट टूर |
इस किचकिच से सदा को ,हो जाते हैं दूर ||
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खुले मंच पर बोलिये ,खूब ठोकिये ताल |
बांका हो सकता नहीं ,कभी एक भी बाल ||
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बाद रिटायरमेंट के ,जो करते हैं याद |
वे ही सच्चे मित्र हैं ,इस दुनियां में आज ||
नही मांगना किसी से ,कोई भी सी एल ।
और नही अब चाहिये ,कोई भी ई एल ।।
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नही जी हजूरी किसी की ,हुआ टेंशन दूर ।
खूब पेंशन मिल रही ,है चैहरे पर नूंर ।।
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नही किसी का फोन है ,नहीं किसी की डांट ।
अपने घर में मस्त हैं ,करते पूजा पाठ ।।
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चमचागिरी से मुक्त हैं ,अब हम हैं आजाद ।
बदला ‐बदला हुआ है ,जीवन का अंदाज ।।
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आफिस की चिन्ता नहीं, नहीं काम का बोझ ।
नारायण भगवान की ,पूजा करिये रोज ||
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अपना आफिस बन गया ,अब अपना परिवार |
हर दिन अब तो हो गया ,छुट्टी का इतवार ।।
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एक साथ घर बैठकर ,करिये हंसी मजाक |
जीवन का आनंद है ,साठ साल के बाद ||
गीतकार - अनाम
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