मनुष्य जन्म बड़ी मुश्किल से मिला है
मादा बिच्छू की मृत्यु बहुत बहुत बहुत ही दु:खदायी रूप
में होती है!! नीचे दिया गया चित्र एक मादा बिच्छु का है , इसकी अस्थिमज्जा पर मौजूद ये इसके बच्चे हैं, ये सभी बच्चे जन्म लेते ही अपनी मां की पीठ पर बैठ जाते
हैं और अपनी भूख मिटाने हेतु तुरंत ही अपनी माँ के शरीर को ही खाना प्रारम्भ कर
देते हैं, और तब तक खाते हैं जब तक कि उसकी
केवल अस्थियां ही शेष ना रह जाए। वो तड़पती है , कराहती है , लेकिन
ये पीछा नहीं छोड़ते , और ये
उसे पलभर में नहीं मार देते बल्कि कई दिनों तक यह मौत से बदतर असहनीय पीड़ा को
झेलती हुई दम तोड़ती है।
मादा बिच्छु की मौत होने पश्चात् ही ये सभी उसकी पीठ से नीचे उतरते हैं
लख चौरासी के कुचक्र में ऐसी असंख्य योनियां हैं , जिनकी स्थितियां अज्ञात हैं , कदाचित् इसीलिए भवसागर को अगम और अपार कहा गया है।
ऋषिमत के मुताबिक यह भी मनुष्य योनि में किए गये कर्मों का ही भुगतान है।
अर्थात्
इन्सान इस मनुष्य जीवन में जो कर्म करेगा , नाना प्रकार की
असंख्य योनियों में इन कर्मों के आधार से ही उसे दुःख सुख मिलते रहेंगे।
यह तय है !!!
चलती चक्की देखकर दिया कबीरा रोय
दोय पाटन के बीच में, साबुत बचा ना कोय।
साथियों,
मनुष्य जन्म बड़ी मुश्किल से मिला है...
ये जो गलियों में आवारा जानवर घूम रहे हैं न ... इन्हें भी कभी मनुष्य जन्म मिला था... इनमें से कोई डॉक्टर था... कोई इंजीनियर.. कोई कुछ और...
इनके गुरु भी इन्हें हरिनाम का भजन करने को कहते थे तो हँस कर जवाब देते थे कि... अभी हमारे पास टाइम नहीं है...
वो मनुष्य जन्म हार गए ... भगवान का भजन व धन्यवाद नहीं किया... पशु योनि में आ गए...
अब देखो टाइम ही टाइम है.... बेचारे गली - गली आवारा घूमते हैं... कोई धुत्कारता है... कोई फटकारता है...कर्म बहुत रूला डालते हैं ... किसी को नहीं छोड़ते अब नहीं समझेंगे तो कब समझेंगे...??
हरिनाम का भजन कर्मफलों को भी धो डालता हैं...
हमें चाहिए कि....हरिनाम जाप जरूर करें...
सदैव जपें और खुश रहे
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