ROOH-E-SHAYARI- 06.10.2020
अगर
कोई एक लफ्ज मे मेरी हर खुशी पूछे
तो मै तेरे नाम के सिवा कुछ और ना कहूँ
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गिरते
हैं जब ख्याल, तो गिरता है आदमी ।
जिसने
इन्हें संभाला, वो खुद संभल गया ।।
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मुसाफिर
कल भी था, मुसाफिर आज भी हूँ;
कल
अपनों की तलाश में था,आज अपनी तलाश में हूँ
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आंखों
का था कुसूर न दिल का कुसूर था ।
आया
जो मेरे सामने मेरा ग़ुरूर था ।।
- जिगर मुरादाबादी
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जहाँ
तू जल्वा - नुमा था लरज़ती थी दुनिया,
तिरे
जमाल से कैसा जलाल पैदा था
- फ़िराक़ गोरखपुरी
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फिर
क्यूं है ग़रीबों के मकानों में अंधेरा ।
ये
चांद अगर सारे ज़माने के लिए है ।।
- हबीब जालिब
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कितने
मसरूफ हैं हम जिंदगी के कशमकश में
इबादत
भी जल्दी में करते हैं
फिर से गुनाह करने के लिए !!
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अपनी
मंजिल पर पहुंचना भी,खड़े रहना भी
कितना
मुश्किल है बड़े हो के,
बड़े रहना भी
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किसी
ने मुझसे पूछा कि ये शायरी क्या है,
हमने
मुस्कुरा के कहा, तजुर्बों का सर्टिफिकेट
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तुम्हारी
शरारत लिखेंगे, हुई जो जलालत लिखेंगे
नजर
से नजर जो मिली थी, उसे हम हिमाकत लिखेंगे
- लक्ष्मण दावानी
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वो
मुझपे हाथ उठाता तो ग़म नहीं होता
है
ये अफ़सोस के लफ़्ज़ों के तमाचे मारे
- असद अजमेरी
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मेरे
लिए प्रेम तेरा, आधा ही रहने दो
रुक्मिणी
नहीं सही, राधा ही रहने दो
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