ना जियो धर्म के नाम पर , ना मरो धर्म के नाम पर , इंसानियत ही है धर्म वतन का बस जियों वतन के नाम पर - - - - अपने खिलाफ बातें बड़ी ख़ामोशी से सुनता हूँ मैं , जवाब देने का ज़िम्मा मैंने वक्त को दे रखा है. - - - - ईश्वर जिम्मेदारी उसी को देता हैं , जो निभाने के क़ाबिल होता है । - - - - अजीब सी बस्ती में ठिकाना है मेरा , जहां लोग मिलते कम , झांकते ज़्यादा हैं. - - - - कहाँ पर बोलना है और कहाँ पर बोल जाते हैं। जहाँ खामोश रहना है वहाँ मुँह खोल जाते हैं।। - - - - ख़ुद मझधार में होकर भी , जो औरों का साहिल होता है । - - - - उम्र थका नहीं सकती , ठोकरे गिरा नहीं सकती , अगर जीतने की ज़िद हो तो , परिस्थितियाँ हरा नही सकती ! - - - - थामे रही किसी की दोआऐ तमाम उम्र ! ठोकर के बावजूद असद हम गिरे नहीँ !! - असद अजमेरी - - - नादान आईने को क्या खबर कुछ चेहरे चेहरे के अन्दर भी होते हैं - - - - तूने फैसले ही फ़ासले बढ़ाने वाले किये है ! वरना कुछ ना था तुझसे ज़्यादा करीब मेरे !! - - - - कभी कभी धा