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Showing posts from March, 2020

Un-Touched Story Of Film Actress Praveen Bobby ( Without Songs ) - Ancho...

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https://youtu.be/aRuV1pAHcMw

ROOH-E-SHAYARI

बहुत ज्यादा तरक्की मुझे अच्छी नहीं लगती, बिना ओढ़नी कोई बेटी मुझे अच्छी नहीं लगती। - - - - ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तिरे ऊपर निसार ले तिरी हिम्मत का चर्चा ग़ैर की महफ़िल में है ~ बिस्मिल अज़ीमाबादी - - - - किताबों सी शखासियत दे दे मेरे मालिक; खामोश भी रहूॅ और सब कुछ बयां भी कर दूॅ। - - - - बैठे हैं महफिल में अब तक इसी आस में, कि वो निगाहें उठाऐं तो हम सलाम करें। - - - - कुल्हड़ में चाय पीने का एक नायाब फायदा ये भी है , इसी बहाने चूम लेते हैं देश की मिट्टी , जाने अनजाने. - - - -
ज़िंदगी  और कुछ भी नहीं , तेरी मेरी कहानी है  https://youtu.be/u0W0H8k-cSg किसको मन के घाव दिखाएँ, हाल सुनाएँ जी के ! इंसानो से ज़्यादा अच्छे पत्थर किसी नदी के ! ! हर कंधे पे सौ सौ चेहरे, गिनती क्या एक दो की ! रावण से ज़्यादा ख़तरे हैं, इस बीसवीं सदी के !! ~ सूर्य भानु गुप्ता - - - - ताहा अब मर जाइए ओढ़ प्रेम की सौंढ ! कभी तो पिया पूछिहें कौन मुहा इस ठौड़ - - - -

Korona Song - Vintee Yahi Hai Tumse, Tum Bheed Me Na Jao - Pradeep Sriv...

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विनती यही है   तुमसे तुम भीड़ मे न जाओ ! कर लो अभी नमस्ते , न हाथ को बढ़ाओ !! - - - विपदा बहुत बड़ी है , द्वारे पे आ खड़ी है , धीरज धरो ज़रा सा , मुश्किल की ये घड़ी है ! मोदी जी कह रहे हैं , संयम ज़रा दिखाओ , विनती यही है तुमसे तुम भीड़ मे न जाओ !! गीतकार -प्रो॰ मुकेश सिंह स्वर - प्रदीप श्रीवास्तव +91 9984555545 https://youtu.be/Sxx9MLmSkPM

Sufi Qalam - Jab Se Dil Me Shyam Viraje - जब से दिल मे श्याम - Pradeep S...

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जब से दिल मे श्याम विराजे अच्छा लगता है ! धरती को आकाश नवाज़े अच्छा लगता है !! फूलों की मुस्कान से दिल की दुनिया महक उठी ! धूम धाम से बाजन बाजे अच्छा लगता है !! - स्वर - प्रदीप श्रीवास्तव   https://youtu.be/a 9 vvL 6 J 8 Ht 0

ROOH-E-SHAYARI

गुज़रे हुए वक़्त को ये जानता है ! हिलाता है ये दुम कुछ जानता है !! निगाहें फेरने वाले इधर देख ! तेरा कुत्ता मुझे पहचानता है !! - - - - सुनाती है जिसे दुनिया असद मैं वो कहानी हूँ मेरी  पहचान है इतनी के मै हिन्दोस्तानी हूँ - असद अजमेरी - - - - पतंग कट भी जाये मेरी  , तो कोई परवाह नही आरजू इतनी ही है मेरी   जाके उनके घर गिरे -- - - डोर , चरखी , पतंग सब कुछ था... बस उनके घर की तरफ़ हवा न चली... - - - - मुझे भी सिखा दो भूल जाने का हुनर मैं थक गया हर सांस तुम्हें याद करते करते - - - - उसने जो अब छत पर आना छोड़ दिया, हमने भी फिर पतँग उड़ाना छोड़ दिया। - - - - कभी है ढेरों खुशियाँ तो, कभी गम बेहिसाब हैं  इम्तिहानों से भरी जिन्दगी   इसीलिए लाजवाब है !! - - -- दो चार लफ्ज़ ले के मुहब्बत के मै क्या करू देनी है तो मुहब्बत की मुकम्मल किताब दे ..!! - - - - - - - - प्यार सबसे किया नहीं जाता ! दिल हर एक को दिया नहीं जाता !! चाक दामां तो सिल भी सकता है ! ज़ख्म दिल का सिया नहीं जाता !! - - - - सोच रहा हूँ शराब पर एक कित

सी॰ जी॰ यच॰यस॰ डिस्पेन्सरी, आर॰ के॰ नगर, कानपुर मे सर्वर डाउन और मरीज पर...

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सी जी एच यस डिस्पेंसरी, राम कृष्णा नगर, कानपुर में सर्वर डाउन की वजह से सैकड़ों मरीज परेशान - ग्राउंड रिपोर्ट - प्रदीप श्रीवास्तव  https://youtu.be/9aJRWEj-5V0

EK KAHANI MAIN LIKHTA HUN, SINGER & COMPOSER - PRADEEP SRIVASTAVA, +9199...

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एक कहानी मैं लिखता हूँ, एक कहानी तू भी लिख ! इस गीत को  मैंने खुद कम्पोज़ किया था और उसे लिखा था कानपुर के पूर्व मुख्य आयकर आयुक्त, श्री जी एन पांडे जी ने,  आप इसे सुने और लोगों को फारवर्ड भी करें https://youtu.be/jY402tqCHGg
बड़े दौर गुजरे हैं जिंदगी के, यह दौर भी गुजर जायेगा, थाम लो अपने पांव को घरों में, कोरोना भी थम जाएगा ! - - - - अदब के नाम पर महफ़िल मे चर्बी बेचने वालों !  अभी वो लोग ज़िंदा हैं जो घी पहचान लेते हैं !!  - कयुम नाशाद फैज़ाबादी - - - - उसके चेहरे का पड़ा अक्स जो पैमाने मे ! लग गई आग हुआ शोर मखाने मे !! होश मे दर्द है, याद है, तड़प है यारों ! और ही लुत्फ है कुछ पी के बहक जाने मे !!       - - - - नक्श पानी पे बना हो जैसे, ज़िंदगी मौजे बला हो जैसे ! मुझसे बच बच के चली दुनिया ! मेरे नज़दीक ख़ुदा हो जैसे !! - अमीर क़जलबख्श  - - - -
सीख जाओ वक़्त पर किसी की चाहत की कदर करना  कही कोई थक न जाये तुम्हे एहसास दिलाते दिलाते  - - - - आज उसने एक तस्वीर पुरानी मांगी,  हाय! कमबख़्त ने किस उम्र में जवानी मांगी। - - - - पहले महलों के फिर दो गज़ ज़मीन के मालिक, मौत का फरिश्ता इक पल में जागीर बदल देता है। - - - - बड़ी मुख़्तसर वजह है मेरे झुक कर मिलने की मिट्टी का बना हूँ ,  ग़रूर  जँचता नही मुझ पर - - - - शांत-शांत बैठे रहोगे तो कैसे बनें गी कहानियाँ कुछ तुम बोलो कुछ हम बोले तभी तो बनेंगी शायरियाँ  - - - -  उसी की फ़िक्र मुझे अब भी लगी रहती है ! वो एक शख़्स जो अब दोस्त भी नहीँ मेरा !! - असद अजमेरी  - - - - तेरी ख़्वाहिशों से रूबरू होना है मुझे हुस्न को पता तो चले मैं ज़िद हूँ या ख्वाब. - - - - दौलत नही शोहरत नही ना वाह वाह चाहिए । कैसे हो, कहां हो, दो लफ़्ज़ों की परवाह चाहिए ।। - - - - हजारों उलझनें राहों में , और कोशिशें बेहिसाब , इसी का नाम है ज़िन्दगी , चलते रहिये जनाब ! - - - - हमने तो सिर्फ इतना पूछा था क्या अब भी और उसने फिर नज़र फेर ली. - -

हमारे पूर्वज कहते थे

अब समझ आया पूर्वजों के समय में 6. क्यों किसी घर में मृत्यु होने पर भोजन नहीं बनता था । 7. क्यों मृत व्यक्ति और दाह संस्कार करने वाले व्यक्ति के वस्त्र शमशान में त्याग देना पड़ता था। 8. क्यों भोजन बनाने से पहले स्नान करना जरूरी था और कोसे के गीले कपड़े पहने जाते थे। 9.क्यों स्ना न के पश्चात किसी अशुद्ध वस्तु या व्यक्ति के संपर्क से बचा जाता था। 10.क्यों प्रातःकाल स्नान कर घर में अगरबत्ती,कपूर,धूप एवम घंटी और शंख बजा कर पूजा की जाती थी। हमने अपने पूर्वजों द्वारा स्थापित नियमों को ढकोसला समझ छोड़ दिया और पश्चिम का अंधा अनुसरण करने लगे। आज कॉरोना वायरस ने हमें फिर से अपने संस्कारों की याद दिला दी है,उनका महत्व बताया है। हिन्दू धर्म, ज्ञान और परंपरा हमेशा से समृद्ध रही है, आज वक्त है अपनी आंखो पर पड़ी धूल झाड़ने और ये उच्च संस्कार अपने परिवार और बच्चो को देने का।

शाहीन बाग

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नई दिल्ली, जागरण संवाददाता।  दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ पिछले तीन महीने से जारी प्रदर्शन को पुलिस ने खत्म करवा दिया। मंगलवार सुबह बड़ी संख्या में पहुंची पुलिस ने सड़क पर बैठे लोगों को हटा दिया। इसके अलावा वहां पर मौजूद टेंट को भी हटा दिया। शाहीन बाग की सड़क खुलवाने के लिए पुलिसकर्मियों का स्थानीय लोगों ने स्वागत किया है। स्थानीय लोगों ने डीसीपी साउथ आरपी मीणा और अन्य पुलिसकर्मियों को गुलाब का फूल दिया और उनका धन्यवाद किया।

ROOH-E-SHAYARU

ना जियो धर्म के नाम पर , ना मरो धर्म के नाम पर , इंसानियत ही है धर्म वतन का बस जियों वतन के नाम पर - - - - अपने खिलाफ बातें बड़ी ख़ामोशी से सुनता हूँ मैं , जवाब देने का ज़िम्मा मैंने वक्त को दे रखा है. - - - - ईश्वर जिम्मेदारी उसी को देता हैं , जो निभाने के क़ाबिल होता है । - - - - अजीब सी बस्ती में ठिकाना है मेरा , जहां लोग मिलते कम , झांकते ज़्यादा हैं. - - - - कहाँ पर बोलना है और कहाँ पर बोल जाते हैं। जहाँ खामोश रहना है वहाँ मुँह खोल जाते हैं।। - - - - ख़ुद मझधार में होकर भी , जो औरों का साहिल होता है । - - - -  उम्र थका नहीं सकती , ठोकरे गिरा नहीं सकती , अगर जीतने की ज़िद हो तो , परिस्थितियाँ हरा नही सकती ! - - - - थामे रही किसी की दोआऐ तमाम उम्र ! ठोकर के बावजूद असद हम गिरे नहीँ !! - असद अजमेरी - - -  नादान आईने को क्या खबर कुछ चेहरे चेहरे के अन्दर भी होते हैं - - - - तूने फैसले ही फ़ासले बढ़ाने वाले किये है ! वरना कुछ ना था तुझसे ज़्यादा करीब मेरे !! - - - - कभी कभी धा

ROOH-E-SHAYARI

एक पल में ले गई सारे ग़म ख़रीद कर , कितनी अमीर होती है ये बोतल शराब की ।। - - - - सब्र करने पर आऊं तो मुड़ कर भी न देखूं   अभी तुमने देखा ही नहीं मेरा पत्थर होना - - - - कभी इनका हुआ हूँ मैं कभी उनका हुआ हूँ मैं ! खुद के लिए कोशिश नहीं की मगर सबका हुआ हूँ मैं !! -- - - - मुमकिन है मेरे किरदार में बहुत सी कमियां होगी पर शुक्र है किसी के जज्बात से खेलने का हुनर नही आया - - - - जाते ही शमशान में मिट गयी सब लकीर, पास पास ही जल रहे थे राजा और फ़क़ीर ! - - - -  अपनी शख्शियत की क्या मिसाल दूँ दोस्तों ना जाने कितने मशहूर हो गये , मुझे बदनाम करते करते - - - - गोपालदास "नीरज" स्वप्न झरे फूल से , मीत चुभे शूल से लुट गये सिंगार सभी बाग़ के बबूल से और हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे कारवाँ गुज़र गया गुबार देखते रहे नींद भी खुली न थी कि हाय धूप ढल गई पाँव जब तलक उठे कि ज़िन्दगी फिसल गई पात-पात झर गए कि शाख़-शाख़ जल गई चाह तो निकल सकी न पर उमर निकल गई गीत अश्क बन गए छंद हो दफन गए साथ के सभी दिऐ धुआँ पहन पहन गए और हम झुके-झु