SHAYARI


इतना कहाँ मशरूफ हो गए हो तुम !

आजकल दिल दुखाने भी नहीं आते !!
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मोहब्बत दो लोगों के बीच का नशा है

जिसे पहले होश आ जाए वो बेवफा है।
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हंस के रख देते हैं मरहम नज़र अंदाज़ी का !

हम कभी ज़ख्म को गहरा नहीं होने देते !!
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मन की लिखूँ तो शब्द रूठ जाते हैं

और सच लिखूँ तो अपने रूठ जाते हैं !
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जहां मैं क़ैद से छूटूँ वहीं पे मिल जाना ।
अभी न मिलना अभी ज़िन्दगी की क़ैद में हूँ ।।

- नूर
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जिंदगी गुजर रही हैं किरदार निभाते निभाते

मैं कौन हूं ये सवाल आज भी कायम
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सारे 'मसरूफ' हैं यहाँ 'दूसरों' की 'कहानियाँ' जानने में..

इतनी 'शिद्दत' से 'खुद' को पढ़ते तो 'खुदा' बन जाते..
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आसमान पर ठिकाने किसी के नहीं होते!

जो ज़मीन पर नहीं होते वो कहीं पे नहीं होते।
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मुक़द्दर ने किया तक़्सीम है कुछ इस तरह हमको !
मैं उसके पास में कम हूं वो मेरे पास ज़ियादा है !!

~असद अजमेरी
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पैमाना कहे है कोई मयख़ाना कहे है !

दुनिया तेरी आँखों को भी क्या क्या न कहे है !!
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मुस्कुराइए क्योंकि आज वही कल है

जिसकी आपको कल बहुत फिक्र थी
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हजारों उलझनें राहों में और कोशिशें बेहिसाब !

इसी का नाम है ज़िन्दगी चलते रहिये जनाब  !!
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फूल रखिए ना रखिए, किसी की राहों में,  

पर लबों पे सब के लिए, दुआ जरूर रखिए.
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मिट्टी था किसने चाक पे रख कर घुमा दिया !
वह कौन हाथ था कि जो चाहा बना दिया !!
~शुजा खावर
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शौक़ है उनको नई चीज़ों का और
यार हम कब के पुराने हो गए
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उठा कर फेंक आया हूँ बड़ा तकरार करता था !
न जाने कोन था, जो आईने के कान भरता था !!
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आजकल देखभाल कर होते हैं प्यार के सौदे !
वो दौर और थे जब प्यार अन्धा होता था !!
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