SHAYARI ON HOLI

झूमकर नाचकर गीत गाओ
सात रंगों से जीवन सजाओ
पर्व पावन है होली का आया
भाईचारे से इसको मनाओ
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करें जब पाँव खुद नर्तन, समझ लेना की होली है हिलोरें ले रहा हो मन, समझ लेना की होली है इमारत इक पुरानी सी, रुके बरसों से पानी सी लगे बीवी वही नूतन,समझ लेना की होली है तरसती जिसके हों दीदार तक को आपकी आंखें उसे छूने का आये क्षण, समझ लेना की होली है हमारी ज़िन्दगी यूँ तो है इक काँटों भरा जंगल अगर लगने लगे मधुबन, समझ लेना की होली है कभी खोलो हुलस कर, आप अपने घर का दरवाजा खड़े देहरी पे हों साजन, समझ लेना की होली है बुलाये जब तुझे वो गीत गा कर ताल पर ढफ की जिसे माना किये दुश्मन, समझ लेना की होली है अगर महसूस हो तुमको, कभी जब सांस लो 'नीरज' हवाओं में घुला चन्दन, समझ लेना की होली है
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इक-दूजे को क्यों न लुभाएँ प्यारी-प्यारी होली में
सब नाचें ,झूमें मुस्काएं प्यारी- प्यारी होली में

अपना- अपना मन बहलायें प्यारी-प्यारी होली में
बच्चे- बूढे हँसे --हंसाएं प्यारी -प्यारी होली में

ऐसा शोख नज़ारा या रब ज़न्नत में भी कहाँ होगा
रंगों के घन उड़ते जाएँ प्यारी- प्यारी होली में

प्यारी-प्यारी होली है तो प्यारी- प्यारी रहने दो
लोगों के मन खिल-खिल जाएँ प्यारी-प्यारी होली में
लाल ,गुलाबी,नीले,पीले चेहरों के क्या कहने हैं
सब के सब ही "प्राण" सुहाएँ प्यारी- प्यारी होली में
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आई होली ख़ुशी का ले के पयाम
आप सब दोस्तों को मेरा सलाम
सब हैँ सरशार कैफो मस्ती मेँ
आज की है बहुत हसीँ यह शाम
सब रहें ख़ुश यूँ ही दुआ है मेरी
हर कोई दूसरोँ के आए काम
हो न तफरीक़ कोई मज़हब की
जश्न की यह फ़ज़ा हो हर सू आम
अम्न और शान्ती का हो माहोल
जंग का कोई भी न ले अब नाम
रंग मे अब पडे न कोई भंग
सब करें एक दूसरे को सलाम
रहें मिल जुल के लोग आपस में
मेरा अहमद अली यही है पयाम
डा अहमद अली बर्क़ी
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झूम रहा संसार, फाग की मस्ती में.
रंगों की बौछार, फाग की मस्ती में.
सारे लंबरदार, फाग की मस्ती में.
बूढ़े-बच्चे-नार, फाग की मस्ती में.
गले मिले जुम्मन चाचा, हरिया काका,
भूले मन की खार फाग की मस्ती में.
जाने कैसी भांग पिला दी साली ने,
बीवी दिखती चार, फाग की मस्ती में.
- योगेन्द्र मौदगिल
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जगदीश रावतानी
भीगे तन -मन और चोली
हिंदू मुस्लिम सब की होली.
छोड़ भाषा मज़हबी ये
बोलें हम रंगों की बोली.
चल पड़ें हम साथ मिलकर
जैसे दीवानों की टोली.
तू क्यों होती लाल पीली
ये है होली ये है होली
तू भी रंग जा ऐसे जैसे
मीरा थी कान्हा की हो ली
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आई सुघड़ सहेली होली, बनकर एक पहेली होली। रंग गुलाल इत्र के बदले, माँगे आज हथेली होली। छप्पन भोगों को तज आई, खाने गुड़ की ढेली होली। खुद गहरे रंगों में डूबी, मुझ को देख अकेली होली। पूरी उम्र लड़े यादों से, कर दो दिन अठखॅली होली। तन बरसाना मन वृन्दावन, भीगी नारि नवॅली होली।
आओ तो आना होली पर;देते सब ताना होली पर।
तन की आग विरह की पीड़ा,क्या होती जाना होली पर।
मन का भेद मर्म आंखों का,हमने पहचाना होली पर।
पढ़ पढ़ पाती मन बहलाया,मुश्किल बहलाना होली पर।
झूठे निकले अब तक वादे,अब मत झुठलाना होली पर।
लिक्खा है भविष्य फल में भी,प्रिय का सुख पाना होली पर।
तुम होगे तो हो जायेगा ,आंगन बरसाना होली पर।
- चंद्रभान भारद्वाज जी
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इक-दूजे को क्यों न लुभाएँ प्यारी-प्यारी होली में
सब नाचें ,झूमें मुस्काएं प्यारी- प्यारी होली में

अपना- अपना मन बहलायें प्यारी-प्यारी होली में
बच्चे- बूढे हँसे --हंसाएं प्यारी -प्यारी होली में

ऐसा शोख नज़ारा या रब ज़न्नत में भी कहाँ होगा
रंगों के घन उड़ते जाएँ प्यारी- प्यारी होली में

प्यारी-प्यारी होली है तो प्यारी- प्यारी रहने दो
लोगों के मन खिल-खिल जाएँ प्यारी-प्यारी होली में

लाल ,गुलाबी,नीले,पीले चेहरों के क्या कहने हैं
सब के सब ही "प्राण" सुहाएँ प्यारी- प्यारी होली में
झूमकर नाचकर गीत गाओ सात रंगों से जीवन सजाओ पर्व पावन है होली का आया भाईचारे से इसको मनाओ
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बुराइयों को मिटाने का अहद कर इस दिन सुधर ख़ुद और जहां को सुधार होली में कली कली पे है दूना निखार होली में चमन चमन है बना लालहज़ार होली मे
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दूर दूर तक खिली हुई है ख़ुशियों की रंगोली , आप सभी को बहुत मुबारक बहुत मुबारक होली

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