सीख जाओ वक़्त पर किसी की चाहत की कदर करना
कही कोई थक न जाये तुम्हे एहसास दिलाते दिलाते
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आज उसने एक तस्वीर पुरानी मांगी,
हाय! कमबख़्त ने किस उम्र में जवानी मांगी।
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पहले महलों के फिर दो गज़ ज़मीन के मालिक,
मौत का फरिश्ता इक पल में जागीर बदल देता है।
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बड़ी मुख़्तसर वजह है मेरे झुक कर मिलने की
मिट्टी का बना हूँ, ग़रूर जँचता नही मुझ पर
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शांत-शांत बैठे रहोगे तो कैसे बनेंगी कहानियाँ
कुछ तुम बोलो कुछ हम बोले तभी तो बनेंगी शायरियाँ
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उसी की फ़िक्र मुझे अब भी लगी रहती है !
वो एक शख़्स जो अब दोस्त भी नहीँ मेरा !!
- असद
अजमेरी
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तेरी ख़्वाहिशों से रूबरू होना है मुझे
हुस्न को पता तो चले मैं
ज़िद हूँ या ख्वाब.
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दौलत नही शोहरत नही ना वाह वाह चाहिए ।
कैसे हो, कहां हो, दो लफ़्ज़ों की परवाह चाहिए ।।
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हजारों उलझनें राहों में, और
कोशिशें बेहिसाब,
इसी का नाम है ज़िन्दगी, चलते रहिये जनाब !
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हमने तो सिर्फ इतना पूछा था क्या
अब भी
और उसने फिर नज़र फेर ली.
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