ROOH-E-SHAYARI

लाज़िम नहीं कि है कोई हो कामयाब ही !
जीना भी सीख लीजिये नाकामियों के साथ !!
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दरारों में झाँकने की आदत है, यहाँ हर किसी को
दरवाजा खोल दो तो कोई पूछने भी नहीं आएगा
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ये रूह बरसों से दफ़्न है तुम मदद ,करोगे
बदन के मलबे से इस को ज़िंदा निकालना है
~उमैर नजमी
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हर बार उड़ जाता है मेरा कागज़ का महल,
फ़िर भी मुझे हवाओं की आवारगी पसंद है
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इशक़़ ईमा है मेरा , इशक़ अकीदा मेरा
इशक़ छूटे भी तो कैसे है वज़ीफा मेरा
असद अजमेरी
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दुआ है कि हमसे वो सौ बार रुठें,
हमारा मनाने को जी चाहता है,
नजर वो न आएं,पर उनकी गली में,
यूं हीं आने जाने को जी चाहता है।
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रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल...
जब आँख ही से ना टपका तो फिर लहू क्या है... 
~ मिर्ज़ा ग़ालिब
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कुछ नेकियां ऐसी भी होनी चाहिए
जिनका खुदा के सिवा कोई गवाह ना हो !!
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जो उसकी आंखों से बयां होते हैं
 वो लफ्ज किताबों में कहां होते हैं
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बड़ी तब्दीलियां लाया हूँ अपने आप में लेकिन,
बस तुमको याद करने की वो आदत अब भी है-
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किताबें यूं तो बहुत सी हैं मेरे बारे में ।
कभी अकेले में ख़ुद को भी पढ़ लिया जाए ।
~ निदा फ़ाज़ली
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हमारे शब्दों से बहकने की शिकायत ना करो जनाब..
इन्हीं शब्दों में नशा तुम्हारे इश्क़ का ही तो है
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इस छोटे से दिल मे किस - किस को जगह दूँ मै,
गम रहेँ ,दम रहेँ, फरियाद रहेँ.या तेरी याद रहे...!
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न हमसफ़र न किसी हमनशीं से निकलेगा।
हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा।।
-राहत इन्दौरी
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मैंने मांगा था थोड़ा सा उजाला अपनी जिंदगी में
चाहने वालों ने तो आग ही लगा दी
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हमारा कत्ल करने की उनकी साजिश तो देखो
 गुजरे जब करीब से तो चेहरे से पर्दा हटा लिया
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बदला बदला सा मिजाज क्या बात हो गई
 शिकायत हम से है या किसी और से मुलाकात हो गई
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न आते हो न बुलाते हो
किस बात पे इतराते हो
कोई तो सूरत निकालो मिलने की
क्यों हमे इतना सताते हो
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फ़ीकी है हर चुनरी, फ़ीका हर बंधेज..!
जिसने रंगा रूह को, वो सच्चा “रंगरेज़”..!!
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पानी में अक्स देखते हैं, लहरों को ख़ता देते हैं,
ग़ैरों की ग़ल्तियों की अपनों को सज़ा देते हैं !
इंसान को इंसान तो  समझते नहीं लेकिन,
पत्थर को भी ख़ुदा तो यही लोग बना देते हैं !
- ALFAZ
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मोहब्बत का कोई रंग नहीं फिर भी वो रंगीन है
 प्यार का कोई चेहरा नहीं फिर भी वो  हसीन है
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रोज करो  पहचान, 
कहाँ  घर  किसका है

रोज़  लगाओ आग, 
तुम्हे  डर किसका है

आग लगाने वालों,
बस इतना याद रखना

ये आग नहीं देखेगी, 
कि  घर  किसका है।
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