SHAYARI

वक़्त पर सब ने फेर लीं आंखे
दिल भी कम बख़्त काम ना आया
- असद अजमेरी
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डॉ राहत इंदौरी
ज़िंदगी की हर कहानी बे-असर हो जाएगी
हम न होंगे तो ये दुनिया दर-ब-दर हो जाएगी
पावँ पत्थर कर के छोड़ेगी अगर रुक जाइए
चलते रहिए तो ज़मीं भी हम-सफ़र हो जाएगी
जुगनुओं को साथ ले कर रात रौशन कीजिए
रास्ता सूरज का देखा तो सहर हो जाएगी
ज़िंदगी भी काश मेरे साथ रहती उम्र-भर
ख़ैर अब जैसे भी होनी है बसर हो जाएगी
तुम ने ख़ुद ही सर चढ़ाई थी सो अब चक्खो मज़ा
मैं न कहता था कि दुनिया दर्द-ए-सर हो जाएगी
तल्ख़ियाँ भी लाज़मी हैं ज़िंदगी के वास्ते
               इतना मीठा बन के मत रहिए शकर हो जाएगी        - - - -
कुछ ज्यादा नही जानते मोहब्बत के बारे में
बस उन्हें सामने देखकर मेरी तलाश खत्म हो जाती है
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छोड़िए शिकायत शुक्रिया अदा कीजिए
जितना है पास पहले उसका मज़ा लीजिए ।।  
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तीर  नज़रो  के  अपने आने दो ।
ख्वाब  पलकों  पे गुदगुदाने दो ।।
बज्म तेरी ये  सज चुकी है अब ।
किस्से  अपने  हमें   सुनाने  दो ।।
- लक्ष्मण दावानी
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काश कभी ऐसी भी हवा चले,
कौन किस का है कभी ये भी तो पता चले
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बचपन ही ठीक था,
दाँत ही टूटते थे, दिल नहीँ ।
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आग लगाने वालों को कहाँ खबर !
रूख हवाओं ने बदला तो खाक वो भी होगें !
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अक्सर वही रिश्ते, लाजवाब होते हैं  

 जो एहसान नहीं, एहसास से बने होते हैं !
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