ROOH-E-SHAYARI
गुज़रे हुए वक़्त को ये जानता है !
हिलाता है ये दुम कुछ जानता है !!
निगाहें फेरने वाले इधर देख !
तेरा कुत्ता मुझे पहचानता है !!
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सुनाती है जिसे दुनिया असद मैं वो कहानी हूँ
मेरी पहचान है इतनी के
मै हिन्दोस्तानी हूँ
- असद
अजमेरी
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पतंग कट भी जाये मेरी ,तो कोई परवाह नही
आरजू इतनी ही है मेरी जाके उनके घर गिरे
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डोर, चरखी, पतंग सब कुछ था...
बस उनके घर की तरफ़ हवा न चली...
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मुझे भी सिखा दो भूल जाने का हुनर
मैं थक गया हर सांस तुम्हें याद करते करते
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उसने जो अब छत पर आना छोड़ दिया,
हमने भी फिर पतँग उड़ाना छोड़ दिया।
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कभी है ढेरों खुशियाँ तो, कभी गम बेहिसाब हैं
इम्तिहानों से भरी जिन्दगी इसीलिए लाजवाब है !!
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दो चार लफ्ज़ ले के मुहब्बत के मै क्या करू
देनी है तो मुहब्बत की मुकम्मल किताब दे ..!!
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प्यार सबसे किया नहीं जाता !
दिल हर एक को दिया नहीं जाता !!
चाक दामां तो सिल भी सकता है !
ज़ख्म दिल का सिया नहीं जाता !!
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सोच रहा हूँ शराब पर एक किताब लिखूँ।
और जो नहीं पीते उन्हें खराब लिखूँ।।
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जो लोग नहीं पीते हैं |
पता नहीं कैसे जीते हैं ||
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