बड़े दौर गुजरे हैं जिंदगी के, यह दौर भी गुजर जायेगा,
थाम लो अपने पांव को घरों में, कोरोना भी थम जाएगा !
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अदब के नाम पर महफ़िल मे चर्बी बेचने वालों !
अभी वो लोग ज़िंदा हैं जो घी पहचान लेते हैं !!
- कयुम नाशाद फैज़ाबादी
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उसके चेहरे का पड़ा अक्स जो पैमाने मे !
लग गई आग हुआ शोर मखाने मे !!
होश मे दर्द है, याद है, तड़प है यारों !
और ही लुत्फ है कुछ पी के बहक जाने मे !!
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नक्श पानी पे बना हो जैसे,
ज़िंदगी मौजे बला हो जैसे !
मुझसे बच बच के चली दुनिया !
मेरे नज़दीक ख़ुदा हो जैसे !!
- अमीर क़जलबख्श
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