ROOH-E-SHAYARI
मोहब्बत करने से फुरसत नहीं मिली दोस्तो,
वरना हम करके बताते नफरत किसको कहते हैं।
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शराब की बोतल सी हैं ये ईमानदारी,
कोई छोड़ता नहीं तो कोई छूता तक नहीं।
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हाँ मुझे रस्म-ए-मोहब्बत का सलीक़ा ही नहीं,
जा किसी और का होने की इजाज़त है तुझे।
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देख कर उसको तेरा यूँ पलट जाना,
नफरत बता रही है तूने इश्क बेमिसाल किया था।
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न मोहब्बत संभाली गई न नफरतें पाली गईं,
अफसोस है उस जिंदगी का जो तेरे पीछे खाली गई।
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